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________________ अंग साहित्य : एक पर्यालोचन ५३ नियुक्ति, चूणि और वृत्ति में जिन निर्देशों का सूचन किया गया है उनके आधार से यह कहा जा सकता है कि आचार-चूला आचारांग से उद्धत नहीं है पर आचारांग के ही संक्षिप्त पाठ का इसमें विस्तार है। आचारांग नियुक्ति में इस तथ्य की पुष्टि की गई है। आचारान में जो 'अन' शब्द व्यवहृत हुआ है वह यहाँ पर उपराकाराग्र के अर्थ में है । आचारांग चूर्णि में उपकाराम का अर्थ किया है 'पूर्वोक्त का विस्तार और अनुक्त का प्रतिपादन करने वाला'। आचाराग्र (आचार चूला) में आचारांग में जिस अर्थ का प्रतिपादन किया गया है उस अर्थ का इसमें विस्तार है और साथ ही इसमें अप्रतिपादित अर्थ का भी प्रतिपादन किया गया है एतदर्थ उसे आचार का अग्र-स्थान दिया गया है। आचार चूला में उक्त का प्रतिपादन किया गया है। इसके प्रथम सात अध्ययनों में उक्त का ही विस्तार है। पन्द्रहवें अध्ययन में श्रमण भगवान महावीर का जो जीवन-वृत्त है वह अनुक्त का विस्तार है। यह अध्ययन आचारांग के प्रथम अध्ययन शस्त्रपरिज्ञा से निर्यढ़ है। पर यह सत्य है कि उसमें महावीर की जीवनी नहीं है किन्तु महाव्रतों की जो भावना है वह पहले अध्ययन की पूरक है। . निर्यहण के सम्बन्ध में विज्ञों ने ऐसा भी अनुमान किया है कि आचारांग में पिण्डशैय्या प्रभृति से सम्बन्धित जो सूत्र थे वे भले ही संक्षिप्त रहे हों पर समणा ! अहं खलु तव अट्ठाए असणं वा पाणं वा खाइ वा साइमं वा वत्वं .. वा पडिग्यहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा पाणाइं भूयाई जीवाई सत्ताई समारब्म समुद्दिस्स कीय पामिच्च-- -०८, उ०२, सूत्र २१ वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं उग्गहं च कडासणं -०२,०५, सूत्र ११२ गामाणुगाम दुइज्जमाणस्स दुज्जातं दुप्परक्त -०५, उ०४, सूत्र २ आइक्खे विमए किट्ठ वेयबी -अ०६,३०५, सूत्र १०१ उवयारेण उ पगयं आयारस्सेव उवरिमाइं तु । रुक्खस्स म पव्वयस्स य जह अग्याई तहेयाई॥ -आचारांग नियुक्ति, गा० २८६ उपकाराग्रं तु यत् पूर्वोक्तस्य विस्तरतोऽनुक्तस्य च प्रतिपादनादुपकारेवर्तते तद् यथा दशकालिकस्य चूडे, अयमेव वा श्रुतस्कन्ध आचारस्येत्यतोऽत्रोपकारानेणाधिकार। -आचारांग चूर्णि, पृ. २५०
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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