________________
और कविता साहित्य के प्रकाशन की योजना है। उसके अन्तर्गत जैन कथाएँ के सोलह भाग, ज्योतिर्धर जैनाचार्य प्रकाशित हो गये हैं। अन्य साहित्य भी प्रकाशित हो रहा है।
श्रद्धेय सद्गुरुवर्य के शुभाशीर्वाद से एवं उदारमना दानी महानुभावों के सहयोग से एवं श्रीचन्द जी सुरामा के सम्पादन-मुद्रण आदि के हार्दिक सहयोग से हम प्रकाशन के क्षेत्र में निरन्तर प्रगति कर रहे है और हमारे प्रकाशन अत्यधिक लोकप्रिय हो रहे हैं । आशा ही नहीं अपितु दृढ़ विश्वास है कि सभी के सहयोग से हम अधिक से अधिक सुन्दर प्रकाशन कर समाज की अत्यधिक सेवा करेंगे।
-मंत्री, श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय