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________________ ५० जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा रचयिता और उसका समय यह सत्य तथ्य है कि आचारांग की रचना गणधर सुधर्मा ने की है। और वह भी भगवान महावीर के समय में ही । भाषा शास्त्री व ऐतिहासिक विद्वानों का मन्तव्य है कि आचारांग उपलब्ध आगमों में सबसे प्राचीन है । इसकी रचना शैली अन्य आगमों से पृथक् है । प्रस्तुत आगम की तुलना पाश्चात्य विचारक डा० हर्मन जेकोबी ने ब्राह्मण सूत्रों की शैली के साथ की है । उनका अभिमत है कि 'ब्राह्मण सूत्रों के वाक्य परस्पर सम्बन्धित हैं किन्तु आचारांग के वाक्य परस्पर संबंधित नहीं है।' वे लिखते हैं कि 'आचारांग के वाक्य उस समय के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थों से उद्धृत किये गये हैं, ऐसा प्रतीत होता है । मेरा यह अनुमान गद्य के मध्य आने वाले पद्यों व पदों के सम्बन्ध में पूर्ण सत्य है । क्योंकि उन पद्यों या पदों की सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन तथा दशकालिक के पदों से तुलना होती है।" डा० जेकोबी का प्रस्तुत मत पूर्णतया आधार-रहित नहीं है। क्योंकि ऐसा भी माना जाता है कि द्वादशांगी पूर्वो से निर्यूढ़ है और दशवैकालिक का निर्यहण भी पूर्वो से ही हुआ है। अतः यह बहुत सम्भव है कि सभी का निर्यूहण स्थल एक हो । आचारांग के वाक्य परस्पर सम्बन्धित नहीं हैं, इस कथन में भी कुछ सचाई हो सकती है क्योंकि जो वर्तमान में आचारांग का रूप उपलब्ध है वह पूर्ण नहीं किन्तु खंडित है । तृतीय कारण व्याख्या पद्धति का भेद भी है। क्योंकि आगम साहित्य में छिन्नच्छेदनfor और अच्छिन्नच्छेदनयिक ये दो व्याख्या पद्धतियाँ रही 1 The Sacred Books of the East, Vol. XXII, Introduction, p. 48 They do not read like a logical discussion, but like a Sermon. made up by quotations from some then well-known sacred books. In fact the fragments of Verses and whole Verses which are liberally interpersed in the prose texts go far to prove the correctness of my conjecture: for many of these 'disjecta membra' are very similar to Verses or Padas of Verses occuring in the 'Sutrakritanga', 'Uttaradhyayana' and 'Dasavaikalika' Sutras.
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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