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________________ .. . पारिभाषिक शब्द कोश (ओ) ओणमाहार--जन्म लेने के समय जो सर्वप्रथम आहार ग्रहण किया जाता है, वह ओज आहार है। औदायिक भाव-कर्म के उदय से उत्पन्न भाव औदयिक भाव है। औवारिक मिश्र-प्रारम्भ किया हुआ औदारिक शरीर जब तक पूर्ण नहीं होता तब तक वह कार्मण शरीर के साथ औदारिक मिश्र कहलाता है। औदारिक शरीर-उदार का अर्थ स्थूल द्रव्य है। जो शरीर स्थूल द्रव्य से निर्मित होता है वह औदारिक है। औनोदर्य-प्रमाण प्राप्त आहार में से कम करते हुए आहार ग्रहण करना । औपशमिक सम्यक्त्व-मोहनीयकर्म की सात प्रकृतियों के उपशम से होने वाले सम्यक्त्व को औपशमिक सम्यक्त्व कहा गया है। कथा---तप व संयम गुणों के धारक श्रमण जो समस्त प्राणियों के हितार्थ जिन पवित्र आख्यानों आदि का निरूपण करते हैं, वे कथा हैं। कन्वर्ष---राग के आधिक्य से हास्य मिश्रित अशिष्ट वचनों को बोलना। कापोतलेण्या-मत्सर भाव रखना, चुगली करना, स्वप्रशंसा, परनिन्दा, निराशा के सागर में डुबकी लगाना आदि कापोतलेश्या के लक्षण हैं। करण...जीव की जो विशिष्ट शक्ति कर्मबन्धादि के परिणमन करने में समर्थ होती है; अथवा जीव का परिणामविशेष करण है। करणानुयोग-लोक-अलोक के विभाग, युगों के परिवर्तन और चार गतियों के स्वरूप को स्पष्ट दिखलाने वाले ज्ञान को करणानुयोग कहा जाता है । करणा-दूसरे जीवों के दुःखों को दूर करने की इच्छा करुणा है। कर्म-मिथ्यात्व, अविरत, प्रमाद, कषाय और योग के निमित्त से हुई जीव की प्रवृत्ति द्वारा आकृष्ट एवं सम्बद्ध तथा योग्य पुद्गल परमाणु । कवाय--आत्म-गुणों को कसे, नष्ट करे, या जिसके द्वारा जन्म-मरण रूप संसार की प्राप्ति हो; अथवा जो सम्यक्त्व, देशचारित्र, सकलचारित्र और यथाख्यात चारित्र को न होने दे, वह कषाय है। कषायमोहनीय कर्म के उदयजन्य संसार वृद्धि के कारण रूप मानसिक विकार कषाय हैं। दूसरे शब्दों में समभाव की मर्यादा को तोड़ना, चारित्रमोहनीय के उदय से क्षमा, विनय, सन्तोष आदि आत्मिक गुणों को प्रगट न होने देना कषाय है। कवायकुशील-अन्य कषायों के उदय पर विजय पाकर भी जो केवल संज्वलन कषाय के वशीभूत होते हैं, वे कषायकुशील हैं। कवाय समुद्घातकषाय की तीव्रता से जीव प्रदेश जो शरीर से तिगुने फैल जाते हैं, वह कषाय समुद्घात है।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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