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________________ ३८ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा - पञ्चम वाचना-बीर निर्वाण की दसवीं शताब्दी (820 या ६६३ ई० सन् ४५४-४६६) में देवद्धिगणी क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में पुनः श्रमणसंघ बल्लभी में एकत्रित हुआ। देवद्धिगणी ११ अंग और १ पूर्व से भी अधिक श्रुत के ज्ञाता थे। स्मृति की दुर्बलता, परावर्तन की न्यूनता, धृति का ह्रास और परम्परा की व्यवच्छित्ति इत्यादि अनेक कारणों से श्रुत साहित्य का अधिकांश भाग नष्ट हो गया था। विस्मृत श्रुत को संकलित व संग्रहीत करने का प्रयास किया गया। देवद्धिगणी ने अपनी प्रखर प्रतिभा से उसको संकलित कर पुस्तकारूढ़ किया। पहले जो माथूरी और वल्लभी वाचनाएँ हई थीं, उन दोनों वाचनाओं का समन्वय कर उनमें एकरूपता लाने का प्रयास किया गया। जिन स्थलों पर मतभेद की अधिकता रही, वहाँ माथुरी वाचना को मूल में स्थान देकर वल्लभी वाचना के पाठों को पाठान्तर में स्थान दिया। यही कारण है कि आगमों के व्याख्या ग्रन्थों में यत्र-तत्र 'नागार्जुनीयास्तु पठन्ति' इस प्रकार का निर्देश मिलता है। आगमों को पुस्तकारूढ़ करते समय देवद्धिगणी ने कुछ मुख्य बातें ध्यान में रखीं। आगमों में जहाँ-जहाँ समान पाठ आये हैं, उनकी वहाँ पुनरावृत्ति न करते हुए उनके लिए विशेष ग्रन्थ या स्थल का निर्देश किया गया है जैसे 'जहा उववाइए' 'जहा पण्णवणाए'। एक ही आगम में एक बात अनेक बार आने पर 'जाव' शब्द का प्रयोग कर उसका अन्तिम शब्द सूचित कर दिया है जैसे 'णागकुमारा जाव विहरंति' 'तेणं कालेणं जाव परिसा जिग्गया। इसके अतिरिक्त भगवान महावीर के पश्चात् की कुछ मुख्य-मुख्य घटनाओं को भी आगमों में स्थान दिया। यह वाचना वल्लभी में होने के कारण 'वल्लभी वाचना' कही गई। इसके पश्चात् आगमों की फिर कोई सर्वमान्य वाचना नहीं हुई। वीर निर्वाण की दसवीं शताब्दी के पश्चात् पूर्वज्ञान की परम्परा विच्छिन्न हो गयी। आगम-विच्छेद का क्रम श्वेताम्बर मान्यतानुसार वीर निर्वाण १७० वर्ष के पश्चात् भद्रबाहु स्वर्गस्थ हए। अर्थ की दृष्टि से अन्तिम चार पूर्व उनके साथ ही नष्ट हो १ वलहिपुरम्मि नयरे देवढिपमुहेण समणसंधेण । - पुत्थई आगमु लिहिओ नवसयअसीआओ वीराओ॥
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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