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________________ ३४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा भी कहा जाता है । समवायांग' और औपपातिक सूत्र के अभिमतानुसार सभी तीर्थकर अर्धमागधी भाषा में ही उपदेश देते हैं, क्योंकि चारित्र धर्म की आराधना व साधना करने वाले मन्दबुद्धि स्त्री-पुरुषों पर अनुग्रह करके सर्वज्ञ भगवान सिद्धान्त की प्ररूपणा जनसामान्य के लिए सुबोध प्राकृत में करते हैं। यह देववाणी है। देव इसी भाषा में बोलते हैं । इस भाषा में बोलने वाले को भाषार्य भी कहा गया है। जिनदासगणी महत्तर अर्धमागधी का अर्थ दो प्रकार से करते हैं। प्रथम यह कि, यह भाषा मगध के एक भाग में बोली जाने के कारण अर्धमागधी कही जाती है। दूसरे, इस भाषा में अठारह देशी भाषाओं का सम्मिश्रण हुआ है। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो मागधी और देशज शब्दों का इस भाषा में मिश्रण होने से यह अर्धमागधी कहलाती है। भगवान महावीर के शिष्य मगध, मिथिला, कोशल आदि अनेक प्रदेश, वर्ग एवं जाति के थे। बताया जा चुका है कि जैनागम ज्ञान का अक्षय कोष है। उसका विचार गांभीर्य महासागर से भी अधिक है। उसमें एक से एक दिव्य असंख्य मणिमुक्ताएँ छिपी पड़ी हैं। उसमें केवल अध्यात्म और वैराग्य के ही उपदेश नहीं हैं किन्तु धर्म, दर्शन, नीति, संस्कृति, सभ्यता, भूगोल, खगोल, गणित, आत्मा, कर्म, लेश्या, इतिहास, संगीत, आयुर्वेद, नाटक आदि जीवन के हर पहलू को छूने वाले विचार यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। उन्हें पाने के लिए १ भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ। -समवायांग सूत्र, पृ०६० २ तएणं समणे भगवं महावीरे कूणिअस्स रम्णो मिभिसार पुत्तस्स अद्धमागहीए भासाए भासइ..."साविय णं अद्धमागही भासा तेसि सब्वेसि अप्पणो समासाए परिमाणेणं परिणमह । -औपपातिक सूत्र बाल-स्त्री-मन्दमूर्खाणां नृणां चारित्रकांक्षिणाम् । अनुग्रहार्य सर्वजः सिद्धान्तः प्राकृते कृतः ।। -वशवकालिक हारिभद्रीया वृत्ति । ४ गोयमा। देवाणं अद्धमागहीए मासाए भासंति, साविय णं अद्धमागही भासा मासिज्जमाणी विसिस्सइ । -भगवती सूत्र २४-२० ५ भासारिया जे णं अद्धमागहीए मासाए मासेंति । -प्रज्ञापनासूत्र ११६२, पृ०५६ ६ मगद्धविसय भासाणिबद्ध अद्धमागह, अट्ठारस देसी भासाणिमयं वा अद्धमागहं । -निशीथचूर्णि
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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