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जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन
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(८२) ऋषिभाषित-नियुक्ति (८३) संसक्त-नियुक्ति (८४) विशेषावश्यक भाष्य
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बत्तीस आगम
अंग
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आचार সুগন্ধুর स्थान समवाय भगवती ज्ञाताधर्मकथा उपासकदशा अन्तकृतदशा अनुत्तरोपपातिकदशा : प्रश्नव्याकरण विपाक
उपांग औपपातिक राजप्रश्नीय . जीवाभिगम प्रज्ञापना जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति चन्द्रप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति निरयावलिका कल्पावतंसिका पुष्पिका पुष्प-चूलिका वृष्णिदशा
छेबसूत्र
मूलसूत्र दशबैकालिक
निशीथ उत्तराध्ययन अनुयोगद्वार
बृहत्कल्प . .. नन्दीसूत्र
दशाश्रुतस्कन्ध .....
आवश्यक सूत्र जैन आगमों की भाषा
. जैन आगमों की मूल भाषा अर्धमागधी है, जिसे सामान्यतः प्राकृत
१ विशेष चर्चा के लिए देखिए-प्रो० कापडिया का 'ए हिस्ट्री ऑफ दी केनोनिकल
लिटरेचर ऑफ जैन्स, प्रकरण २॥ २ पोराणमद्धमागह भासानिययं हवइ सुत्तं ।
--निशीयवृणि