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५६६ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा प्रकाश डाला गया है। उसके पश्चात क्षायिक चारित्र में की जाने वाली क्रियाओं का वर्णन विस्तार से किया है और इसे क्षपणासार कहा है।
प्रस्तुत ग्रंथ पर नेमिचन्द्राचार्य की संस्कृत टीका और पण्डित प्रवर टोडरमलजी की हिन्दी टीका है। पं० टोडरमलजी ने क्षपणासार के सम्बन्ध में कहा कि प्रस्तुत ग्रंथ आचार्य माधवचन्द्र द्वारा भोज नामक राजा के मन्त्री बाहुबलि के परिज्ञानार्थ रचा है।
त्रिलोकसार । इस ग्रंथ में करणानुयोग का वर्णन है। इसका मूलाधार त्रिलोकप्रज्ञप्ति है। इसमें सामान्य लोक, भवन, व्यन्तर, ज्योतिष, वैमानिक और नर तिर्यक लोक ये अधिकार हैं। जम्बूद्वीप, लवण समुद्र, मानुष क्षेत्र, भवन वासियों के रहने योग्य स्थान, आवास भवन, आयु, परिवार का विस्तार से वर्णन है। ग्रह, नक्षत्र, प्रकीर्णक, तारा एवं सूर्य-चन्द्र की आयू, विमान, गति, परिवार आदि का सांगोपांग विश्लेषण है। त्रिलोक की रचना के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्रस्तुत ग्रंथ में मिलती है। इसमें १०१८ गाथाएँ हैं।
द्रव्यसंग्रह . प्रस्तुत ग्रंथ में जीव-अजीव, धर्म-अधर्म, आकाश, काल, कर्म, तत्त्व, ध्यान आदि के सम्बन्ध में संक्षेप में किन्तु व्यवस्थित ढंग से चर्चा की गई है। समस्त विषय को जीवाधिकार, सप्त पदार्थ निरूपण अधिकार, मोक्षमार्ग अधिकार इन तीन अधिकारों में विभक्त कर सकते हैं। प्रथम २७ गाथाओं में षद्रव्य और पंचास्तिकाय का वर्णन है। द्वितीय अधिकार में ११ गाथाओं के द्वारा सप्त तत्त्व, नौ पदार्थ का विश्लेषण है, तृतीय अधिकार में २० गाथाओं के द्वारा निश्चय और व्यवहार मार्ग का निरूपण किया गया है। द्रव्य, अस्तिकाय और तत्त्वों को संक्षेप में समझने के लिए यह ग्रंथ अत्यन्त उपयोगी है। प्रस्तुत ग्रंथ पर ब्रह्मदेव की संस्कृत टीका भी है जो सेक्रेड बुक्स आफ द जैन्स सीरिज से प्रकाशित हुई है जिसमें भूल ग्रंथ का शरदचन्द्र भोशाल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया। पं० द्यानतराय ने प्रस्तुत ग्रंथ का छन्दानुबद्ध हिन्दी में अनुवाद भी किया है। इसके रचयिता सिद्धान्त चक्रवर्ती नेमिचन्द्र हैं।