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जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन ३१ समवाय प्रज्ञापना
· नन्दी भगवती
जंबुद्वीपप्रज्ञप्ति अनुयोगद्वार ज्ञाताधर्मकथा सूर्यप्रज्ञप्ति
पिण्डनियुक्तिउपासकदशा चन्द्रप्रज्ञप्ति
ओघनियुक्ति अन्तकृत्दशा निरयावलिया अनुत्तरोपपातिकदशा कल्पावतंसिका यह छेवसूत्र पुष्पिका
निशीथ प्रश्नव्याकरण
महानिशीथ विपाक पुष्पचूलिका
बृहत्कल्प
व्यवहार वृष्णिदशा
दशाश्रुतस्कन्ध
पंचकल्प १० बस पाइन्ना.
(१) आतुरप्रत्याख्यान (२) भक्तपरिज्ञा (३) तन्दुलवैचारिक (४) चन्द्रवेध्यक (५) देवेन्द्रस्तव (६) गणि-विद्या (७) महाप्रत्याख्यान (८) चतु:शरण (8) वीरस्तव (१०) संस्तारक . ११ अंग, १२ उपांग, ६ मूलसूत्र, ६ छेदसूत्र और १० पइन्ना इस प्रकार कुल ४५ आगम हुए। ८४ आगमों के नाम
१ से ४५ तक पूर्वोक्त (४६) कल्पसूत्र (४७) यति-जीत-कल्प-सोमप्रभसूरि (४८) श्रद्धा-जीत-कल्प-धर्मघोषसूरि (४९) पाक्षिक सूत्र । (५०) क्षमापना-सूत्र
आवश्यक सूत्र के अंग हैं