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________________ ५५२ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा नीति, चरित्र, धर्म और संस्कृति, प्रभृति अनेक विषयों का साङ्गोपाङ्ग निरूपण हुआ है। लोकभाषाओं में रचित व्याख्याएं संस्कृत, प्राकृत भाषाओं में टीकाओं की संख्या अत्यधिक बढ़ जाने और उन टीकाओं में दार्शनिक चर्चाएं चरमसीमा पर पहुँच जाने पर उन भाषाओं से अनभिज्ञ जनसाधारण के लिए उनको समझना कठिन था । तब जनहित की दृष्टि से आगमों के शब्दार्थ करने वाली संक्षिप्त टीकाएँ बनाई गईं और वे भी लोक भाषाओं में सरल और सुबोध शैली में लिखी गई। फलस्वरूप राजस्थानी मिश्रित प्राचीन गुजराती जिसे अपभ्रंश कहा जाता है उसमें साधु रत्नसूरि के शिष्य पार्श्वचंद्रगणि ने वि० सं० १५७२ में आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग आदि पर बालावबोध रचनाएँ कीं । धर्मसिंहमुनि विक्रम की १८वीं शताब्दी में (लोकागच्छीय) स्थानकवासी आचार्य मुनि धर्मसिंहजी ने टब्बाओं का निर्माण किया। ये सौराष्ट्र के जामनगर के निवासी थे। दशाश्रीमाली जिनदास के पुत्र थे। उनकी माता का नाम शिवा था । १५ वर्ष की उम्र में उन्होंने लोकागच्छ के आचार्य रत्नसिंहजी के शिष्य शिवजी मुनि के उपदेश को श्रवण कर पिता के साथ यति दीक्षा ग्रहण की। शास्त्रों के अध्ययन के पश्चात् उन्हें यह अनुभव हुआ कि यति वर्ग का आचरण शास्त्र के अनुकूल नहीं है। उन्होंने अपने विचार गुरु के समक्ष प्रस्तुत किये और क्रान्ति करने के लिए निवेदन भी किया। शिवजी यति को धर्मसिंहजी का कथन पूर्ण सत्य प्रतीत हुआ, किन्तु उन्होंने कहा कि इस समय रुको, बाद में इस पर चिन्तन करेंगे और संघ को आचार की दृष्टि से सुधार कर हम दोनों पुनः प्रव्रज्या ग्रहण करेंगे। धर्मसिंहमुनि ने सोचा जब गुरुजी भी इस कार्य के लिए प्रस्तुत हैं तो मुझे इतनी शीघ्रता नहीं करनी चाहिए। इन्हें सुधार करने के लिए अवसर देना चाहिए | धर्मसिंहमुनि ने आगमों का गहन अध्ययन प्रारम्भ किया और साथ ही आगम ग्रंथों पर टब्बा (टिप्पण) लिखना प्रारंभ किया । व्याख्याप्रज्ञप्ति, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति के अतिरिक्त शेष स्थानकवासी परम्परा सम्मत २७ आगमों पर बालावबोध
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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