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________________ arat at aurentreक साहित्य ५५१ कल्पसूत्रार्थ प्रबोधनी इस टीका के निर्माता अभिधान राजेन्द्रकोष के सम्पादक श्री राजेन्द्र सूरि हैं। यह टीका बहुत विस्तृत है। इन टीकाओं के अतिरिक्त कल्पसूत्रवृत्ति ( उदयसागर), कल्पदुर्गपद निरुक्ति, पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान, पर्युषणपर्व विचार, कल्पमंजरी रत्नसागर, कल्पसूत्र ज्ञान दीपिका (ज्ञान विजय ), अवचूर्णि, अवचूरि टब्बा आदि अनेक टीकाएँ व अनुवाद उपलब्ध होते हैं। डाक्टर हर्मन कोबी ने कल्पसूत्र का इंग्लिश में अनुवाद प्रकाशित किया है और उस पर महत्वपूर्ण भूमिका भी लिखी है। पं० बेचरदासजी ने उसका गुजराती में अनुवाद किया है। स्थानकवासी मुनि उपाध्याय श्री प्यारचन्दजी महाराज ने संक्षिप्त हिन्दी अनुवाद किया है। सुत्तागमे के द्वितीय भाग में मुनि पुफ्फभिक्खुजी ने भी मूलकल्पसूत्र छपवाया है। पूज्य पं० मुनिश्री घासीलालजी महाराज ने नवीन कल्पसूत्र का निर्माण किया है। इस प्रकार कल्पसूत्र पर विशाल व्याख्या साहित्य समय-समय पर निर्मित हुआ है, जो उसकी लोकप्रियता का ज्वलंत प्रमाण है । आचार्य श्री घासीलालजी महाराज २०वीं सदी में स्थानकवासी परम्परा के आचार्य श्री घासीलालजी महाराज का जन्म सं० १९४१ में उदयपुर के सन्निकट जसवन्तगढ़ मेवाड़ में हुआ। उनकी माँ का नाम विमलाबाई ओर पिता का नाम प्रभुदत्त था । जवाहराचार्य के पास उन्होंने आर्हती दीक्षा ग्रहण की और स्थानकवासी परम्परा मान्य ३२ आगमों पर संस्कृत भाषा में टीकाएँ निर्माण कीं । आपकी टीकाओं की शैली व्यास है । कई विषयों में पुनरावृत्तियाँ भी हुई हैं। परम्परा की मान्यताओं को पुष्ट करने का लेखक का प्रयास रहा है । अनेक ग्रन्थों के उद्धरण टीका में दिये हैं किन्तु उन स्थलों का निर्देश नहीं किया गया है। जिज्ञासुओं के लिए ये टीकाएँ बहुत ही उपयोगी हैं। ३२ आगमों पर एक साथ टीका करने वाले ये सर्वप्रथम आचार्य हैं । टीकाओं में कहीं-कहीं पर लेखक का स्वतन्त्र चिन्तन उजागर हुआ है । इस प्रकार आगम साहित्य पर जो विराट टीका साहित्य लिखा गया है उसमें आगमों के तथ्यों का उद्घाटन करते हुए आचारशास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, योगशास्त्र, नागरिकशास्त्र, भूगोल- खगोल, राज
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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