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________________ ५४४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा कल्प है । वर्तमान में जो पर्युषणाकल्पसूत्र है, वह दशाश्रुतस्कंध का ही आठवाँ अध्ययन है। दशाश्रुतस्कंध की प्राचीनतम प्रतियाँ (१४ वीं शताब्दी से पूर्व की) जो पुण्यविजयजी महाराज के असीम सौजन्य से मुझे देखने को मिली हैं, उनमें आठवें अध्ययन में पूर्ण कल्पसूत्र आया है जो यह स्पष्ट प्रमाणित करता है कि कल्पसूत्र कोई स्वतंत्र एवं मनगढन्त रचना नहीं है अपितु दशाश्रुतस्कंध का ही आठवां अध्ययन है। दूसरी बात दशाश्रुतस्कंध पर द्वितीय भद्रबाह की जो नियुक्ति है, जिसका समय विक्रम की छठी शताब्दी है, उसमें और उस नियुक्ति के आधार से निर्मित चूणि में दशाश्रुतस्कंध के आठवें अध्ययन में, वर्तमान में प्रचलित पर्युषणाकल्पसूत्र के पदों की व्याख्या मिलती है। मुनिधी पुण्यविजयजी का अभिमत है कि दशाश्रुतस्कंध की चूणि लगभग सोलह सौ वर्ष पुरानी है। प्रश्न हो सकता है कि आधुनिक दशाश्रुतस्कंध की प्रतियों में कल्पसूत्र लिखा हुआ क्यों नहीं मिलता? इसका उत्तर यही है कि जब से कल्पसूत्र का वाचन पृथक् रूप से प्रारम्भ हुआ, तब से दशाश्रुतस्कंध में से वह अध्ययन कम कर दिया गया होगा। यदि पहले से ही वह उसमें सम्मिलित न होता तो नियुक्ति और चूणि में उसके पदों की व्याख्या न आती। स्थानकवासी जैन परम्परा दशाश्रुतस्कंध को प्रामाणिक आगम स्वीकार करती है तो कल्पसूत्र को जो उसी का एक विभाग है, अप्रामाणिक मानने का कोई कारण नहीं प्रतीत होता। मूल कल्पसूत्र में ऐसा कोई प्रसंग या घटना नहीं है जो स्थानकवासी परम्परा की मान्यता के विपरीत हो। श्रमण भगवान महावीर की जीवन झाँकी का वर्णन भी जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति से विपरीत नहीं है। अन्य तीर्थङ्करों का वर्णन जैसा सूत्ररूप में अन्य आगम साहित्य में बिखरा पड़ा है, उसी प्रकार का इसमें भी है। सामाचारी १ आचारदसाणं दस अज्झयणा पण्णता, तं जहा-बीसं असमाहिठाणा, एगवीसं सबला, तीतोसं आसायणातो अट्ठविहा गणी संपया, दस चित्तसमाहिठाणा, एगारस उवासगपडिमातो, बारस भिक्खुपडिमातो, पज्जोसवण-कप्पो, तीसं मोहणिज्ज ठामा, आजाइट्ठाणं-स्थानाङ्ग १० स्थान । २ कल्पसूत्र प्रस्तावना, पृ० ८--पुण्यविजयजी।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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