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________________ आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य ५४१ स्थानांगवृत्ति समवायाङ्ग व्याख्याप्रज्ञप्ति भगवती-व्याख्या ज्ञाताधर्मकथा उपासकदशाङ्ग उपासकदशांगवृत्ति प्रश्नव्याकरणवृत्ति औपपातिकवृत्ति राजप्रश्नीयवृत्ति टीकाकार (३०) सुमतिकल्लोल (३१) हर्षनंदन (सं० १७०५) (३२) मेघराज वाचक (३३) भावसागर (३४) पद्मसुन्दरगणि (३५) कस्तूरचन्द्र (सं० १८९६) (३६) हर्षवल्लभ उपाध्याय (सं० १६९३) (३७) विवेकहंस (३८) ज्ञानविमलसूरि (३९) पावचन्द्र (४०) अजितदेवसूरि (४१) राजचन्द्र (४२) पावचन्द्र (४३) राजचन्द्र (४४) रत्नप्रभसूरि - (४५) समरचन्द्रसूरि (४६) पद्मसागर (सं० १७००) (४७) जीवविजय (सं० १७८४) (४८) पुण्यसागर (सं० १६४५) (४९) विनयराजगणी (५०) पावचन्द्र (५१) विनयसेनसूरि (५२) हेमचन्द्रगणि (५३) समरचन्द्र (सं० १६०३) (५४) पावचन्द्र (५५) सौभाग्यसागर (५६) कीर्तिवल्लभ (सं० १५५२) (५७) उपाध्याय कमलसंयत (सं० १५५४) (५८) तपोरत्नवाचक (सं० १५५०) (५६) गुणशेखर जीवाभिगम प्रज्ञापना जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति चतु:शरण आतुरप्रत्याख्यान संस्तारकवृत्ति तन्दुलवैचारिक बृहद्कल्प उत्तराध्ययन
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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