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जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा
टीकाकार (५) विजयविमल (वि० सं० १६३४) तन्दुलवैचारिक, गच्छाचार की
टीकाएँ। (६) वानरषि
गच्छाचार प्रकरण की वृत्ति । (७) हीरविजयसूरि (वि० सं० १६३६) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति की टीका।। (८) शान्तिचन्द्रगणी (वि० सं०१६६०) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति पर प्रमेयरस्न
मंजूषा की टीका। . (९) जिनहंस (वि० सं० १५८२) आचाराङ्ग की टीका (१०) हर्षकुल (वि० सं० १५८३) सूत्रकृताङ्गदीपिका, भगवती
टोका और उत्तराध्ययनटीका (११) लक्ष्मीकल्लोलगणी (वि० सं० १५९६) आचाराङ्गवत्ति, ज्ञाता-धर्म
कथावृत्ति (१२) दानशेखर
व्याख्याप्रज्ञप्ति लघुवत्ति (१३) विनयहंस
उत्तराध्ययनवृत्ति,
दशवकालिकवृत्ति (१४) जिनभट्ट
आवश्यकवृत्ति (१५) नमिसाधु (वि० सं० ११२२) आवश्यकवृत्ति (१६) ज्ञानसागर (सं० १४४०) (१७) माणिक्यशेखर (१८) शुभवर्द्धनगणी (सं० १५४०) (१९) धीरसुन्दर (सं० १५००) (२०) श्रीचंद्रसूरि (सं० १२२२) (२१) कुलप्रभ (२२) राजवल्लभ (२३) हितरुचि (सं०१६९७) (२४) अजितदेवसूरि
आचाराङ्गवृत्ति (२५) पार्श्वचन्द्र (सं० १५७२) (२६) माणिक्यशेखर (२७) साधुरङ्ग उपाध्याय (सं० १५६६) सूत्रकृताङ्गवृत्ति (२८) नर्षिगणी (सं० १६५७) स्थानांगवृत्ति (२९) पावचन्द्र