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________________ ५३८ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा ११७५ की कार्तिक शुक्ला पंचमी के दिन यह वृत्ति पूर्ण हुई है। इस वृत्ति का ग्रंथमान २८००० श्लोक प्रमाण है । आचार्य नेमिचन्द्रकृत वृत्ति नेमिचन्द्र सूरि का अपर नाम देवेन्द्रगणी भी प्राप्त होता है । देवेन्द्र उनका गृहस्थाश्रम में नाम था । उन्होंने वि० सं० ११२६ में उत्तराध्ययन पर सुखबोधा नामक वृत्ति का निर्माण किया है। इसमें नियुक्ति की गाथाओं को भी यथास्थान उद्धृत किया गया है। नेमिचन्द्र सूरि पर आचार्य शीलांक की शैली की अपेक्षा आचार्य हरिभद्र और वादिवेताल शान्तिसूरि की शैली का अधिक प्रभाव है। शैली की सरलता व सरसता के कारण इसका नाम सुखबोधा रखा गया है । वृत्ति के प्रारम्भ में तीर्थंकर, सिद्ध, साधु व श्रुत देवता को नमस्कार किया गया है। ग्रन्थ के अन्त में गच्छ, गुरुभ्राता, वृत्ति रचना का स्थान, समय आदि का भी निर्देश किया गया है। आचार्य नेमिचन्द्र बृहद्गच्छीय उद्योतनाचार्य के शिष्य उपाध्याय आम्रदेव के शिष्य थे । उनके गुरुभ्राता का नाम मुनिचन्द्रसूरि था जिनकी प्रबल प्रेरणा से उत्प्रेरित होकर प्रस्तुत वृत्ति की रचना हुई । प्रस्तुत वृत्ति अणहिल पाटण नगर में विक्रम सं० १९२९ में पूर्ण हुई । इस वृत्ति का ग्रन्थमान १२००० श्लोक प्रमाण है। इनकी अन्य रचनाएँ उपलब्ध नहीं होती हैं । श्रीचन्द्रसूरि रचित टीकाएँ श्रीचन्द्रसूरि नाम के दो आचार्य थे - एक मलधारी श्री हेमचन्द्र सूरि के शिष्य - जिन्होंने संग्रहणीप्रकरण, मुनिसुव्रतस्वामीचरित्र ( प्राकृत), लघुप्रवचनसारोद्धारप्रभृति ग्रन्थों की रचना की थी; दूसरे चन्द्रकुली श्री शीलभद्रसूरि और धनेश्वरसूरि गुरु-युगल के शिष्य थे, जिन्होंने न्याय प्रवेशपञ्जिका, जयदेवछन्दशास्त्रवृत्तिटिप्पणक, निशीथचूर्णिटिप्पणक, नन्दिसूत्र हारिभद्री टिप्पणक, जीतकल्पचूर्णि टिप्पणक, पञ्चोपांगसूत्रवृत्ति, श्राद्धसूत्र, प्रतिक्रमणसूत्रवृत्ति, पिण्डविशुद्धिवृत्ति, प्रभृति ग्रन्थों की रचना की थी । यहाँ पर द्वितीय शीलभद्रसूरि ही अभिप्रेत है जिनका दूसरा नाम पार्श्वदेवगणी भी था । निशीथ चूर्णदुर्गपदव्याख्या यह निशीथ चूर्णि के २०वें उद्देशक पर टीका है। चूर्णि के कठिन स्थलों को सरल व सुगम बनाने के लिए इसकी रचना की गई है, जैसा कि
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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