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________________ आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य ५०६. उन्हें अच्छा परिचय था। जंत्र-मंत्र और तंत्र के रहस्यों के भी ज्ञाता थे जिसकी स्पष्ट झांकी हमें टीका साहित्य में मिलती है । Star साहित्य का युग संस्कृत भाषा के उत्कर्ष का काल था । कुछ स्थलों पर तो संस्कृत भाषा जन भाषा के रूप में मान्य कर ली गई थी। जैनाचार्य इस क्षेत्र में कहाँ पीछे रहने वाले थे ? उन्होंने अनेकानेक ग्रन्थों का संस्कृत भाषा में प्रणयन कर जो साहित्य की सेवा की वह अद्वितीय थी । उन्होंने आगमों पर ही नहीं आगमेतर ग्रन्थों पर भी टीकाएँ लिखीं। महाकवि वाण रचित ' कादम्बरी' पर भी उनकी टीका है। जो अन्य सभी टीकाओं से सर्वोत्कृष्ट मानी जाती है । टीका साहित्य का युग संक्रान्ति काल था । जैनेतर दार्शनिक जैन धर्म के उन्मूलन का प्रयत्न कर रहे थे। शास्त्रार्थ के लिए आह्वान किया जाता था और जैनाचार्य उनके तर्कों का अकाट्य उत्तर देते थे। उन्होंने न्यायग्रन्थों का प्रणयन किया। आगम की टीकाओं में भी अन्य दर्शनों की टीकाओं के निरसन का सफल प्रयास किया गया । जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण की स्वोपज्ञवृत्ति आगम साहित्य पर सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में टीका लिखने वाले जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण हैं। उन्होंने अपने विशेषावश्यकभाष्य पर स्वोपज्ञवृत्ति लिखी, पर यह वृत्ति वे अपने जीवन काल में पूर्ण न कर सके। वे छठे गणधर व्यक्त तक ही टीका लिख सके। उनकी शैली संक्षिप्त, सरल, सरस व प्रसादगुण युक्त थी। उनकी प्रस्तुत टीका उनके पश्चात् कोट्याचार्य ने पूर्ण की। इसका संकेत कोट्याचार्य ने छठे गणधरवाद के अन्त में दिया है । जिनभद्र का भाष्य चूर्णि और टीका के व्याख्याकार के रूप में अपूर्व योगदान रहा है । भाष्यकार के रूप में उनकी ख्याति सर्वविदित है । अनुयोगद्वार के अंगुलपद पर भी उनकी चूर्णि है। विशेषावश्यकभाष्य की स्वोपज्ञवृत्ति में उनका टीकाकार रूप भी निखरा है। आचार्य हरिभद्र की वृत्तियाँ संस्कृत टीकाकारों में आचार्य हरिभद्र का नाम सर्वप्रथम आता है । ये संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड पण्डित थे। उनका सत्ता समय वि० सं० ७५७ से ८२७ का है। प्रभावकचरित्र के अनुसार उनके दीक्षागुरु आचार्य जिनभट थे
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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