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________________ आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य ४८५ है। आचार्य, उपाध्याय के पाँच अतिशय होते हैं जिनका श्रमणों को विशेष लक्ष्य रखना चाहिए (१) उनके बाहर जाने पर पैरों को साफ करना । (२) उनके उच्चार-प्रस्रवण को निर्दोष स्थान पर परठना । (३) उनकी इच्छानुसार वैयावृत्य करना । (४) उनके साथ उपाश्रय के भीतर रहना । (५) उनके साथ उपाश्रय के बाहर जाना । श्रमण किसी महिला को दीक्षा दे सकता है और दीक्षा के बाद उसे साध्वी को सौंप देना चाहिए। साध्वी किसी भी पुरुष को दीक्षा नहीं दे सकती। उसे योग्य श्रमण के पास दीक्षा के लिए प्रेषित करना चाहिए। श्रमणी एक संघ में दीक्षा ग्रहण कर दूसरे संघ में शिष्या बनना चाहे तो उसे दीक्षा नहीं देनी चाहिए। उसे जहाँ पर रहना हो वहीं पर दीक्षा ग्रहण करनी चाहिए किन्तु श्रमण के लिए ऐसा नियम नहीं है। तीन वर्ष की दीक्षा पर्याय वाला उपाध्याय और ५ वर्ष की दोक्षा पर्याय वाला आचार्य बन सकता है । वर्षावास के लिए ऐसा स्थान श्रेष्ठ बताया है जहाँ पर अधिक कीचड़ न हो, द्वीन्द्रियादि जीवों की बहुलता न हो, प्रासुक भूमि हो, रहने योग्य दो तीन बस्तियाँ हों, गोरस की प्रचुरता हो, बहुत लोग रहते हों, कोई वैद्य हो, औषधियों सरलता से प्राप्त होती हों, धान्य की प्रचुरता हो, राजा सम्यक् प्रकार से प्रजा का पालन करता हो, पाखण्डी साधु कम रहते हों, भिक्षा सुगम हो और स्वाध्याय में किसी भी प्रकार का विघ्न न हो । जहाँ पर कुत्ते अधिक हों वहीं पर श्रमण को विहार नहीं करना चाहिए। भाष्य में दीक्षा ग्रहण करने वाले के गुण-दोष पर चिन्तन करते हुए लिखा है कि कुछ व्यक्ति अपने देश स्वभाव से ही दोषयुक्त होते हैं। आन्ध्र में उत्पन्न व्यक्ति क्रूर होता है, महाराष्ट्र में उत्पन्न हुआ व्यक्ति वाचाल होता है और कोशल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति स्वभाव से ही दुष्ट होता है । इस प्रकार का न होना बहुत ही कम व्यक्तियों में सम्भव है । आगे भाष्य में शयनादि के निमित्त सामग्री एकत्रित करने और पुनः लौटाने की विधि बताई गई है। आहार की मर्यादा पर प्रकाश डालते हुए कहा है-आठ कौर खाने वाला श्रमण अल्पाहारी, बारह, सोलह,
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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