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________________ आयमों का व्याख्यात्मक साहित्य ४७३ होती है, मध्यम जिनों की उत्कृष्ट तपोभूमि आठ मास की होती है और अन्तिम जिन की छह मास की ।' छेद, अनवस्थाप्य, पारांचिक के अपराधस्थानों का निर्देश किया है। तीर्थंकर, प्रवचन, श्रुत, आचार्य आदि की आशातना करने वाले को पारांचिक-प्रायश्चित्त आता है। अनबस्थाप्य और पारांचिक प्रायश्चित्त चतुर्दश पूर्वधर भद्रबाहु तक था। उसके पश्चात् उसका विच्छेद हो गया। जो सूत्र और अर्थ के मर्म को जानने वाला है वही जीतकल्प का योग्य अधिकारी है। इसमें आचार के नियमों और उसकी स्खलना होने पर उसकी शुद्धि के लिए प्रायश्चित्त का विधान है। इस प्रकार 'जीतकल्प' यह आचार्य जिनभद्र की जैन आचारशास्त्र पर महत्त्वपूर्ण कृति है। इसमें किञ्चित् मात्र भी सन्देह नहीं है। संघदासगणी द्वितीय भाष्यकार संघदासगणी हैं। आचार्य संघदास के जीवन वृत्त के सम्बन्ध में कुछ भी सामग्री नहीं मिलती है। उनके माता-पिता कौन थे ? उनकी जन्मस्थली कहाँ पर थी? उन्होंने किन आचार्य के पास आहंती दीक्षा ग्रहण की, आदि जानकारी प्राप्त नहीं होती है। आगम प्रभावक मुनिश्री पुण्यविजयजी का मानना था कि संघदास गणी नामक दो आचार्य हुए हैं। एक ने बृहत्कल्पलधुभाष्य और पञ्चकल्पमहाभाष्य का निर्माण किया और दूसरे आचार्य ने वसुदेवहिंडि-प्रथम खण्ड लिखा। भाष्यकार संघदासगणी का विशेषण क्षमाश्रमण है तो वसुदेवहिण्डि के रचयिता का विशेषण 'वाचक' है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण ने अपने 'विशेषणवती' नामक ग्रन्थ में वसुदेवहिडि ग्रन्थ का उल्लेख अनेक बार किया है और वसुदेवहिडि में जो भगवान ऋषभदेव का जीवन आया है, उन गाथाओं का संग्रहणी के रूप में अपने ग्रन्थ में उपयोग किया है। इससे यह स्पष्ट है वसुदेवहिंडि के रचयिता संघदासगणी भाष्यकार जिनभद्रगणी से पूर्व हुए हैं। भाष्यकार संघदासगणी जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण से पहले हए हैं ? या बाद में हुए हैं ? यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, पर यह निश्चित है कि संघदासगणी जैन आगम साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान थे। छेद १ जीतकल्पभाष्य, गा० २२८५-८६
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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