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________________ आगमों का व्याख्यात्मक साहित्य ४३७ नियुक्तिकार कौन ? जिस प्रकार यास्क महर्षि ने वैदिक पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या के लिए निघण्टु भाष्य रूप निरुक्त लिखा है इसी प्रकार जैन पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या के लिए आचार्य भद्रबाहु ने नियुक्तियाँ लिखी हैं । नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु माने जाते हैं। ये चतुर्दश- पूर्वघर छेदसूत्रकार भद्रबाहु से पृथक् हैं, क्योंकि नियुक्तिकार भद्रबाहु ने दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति, पञ्चकल्पनि क्ति में छेदसूत्रकार भद्रबाहु को नमस्कार किया है। यदि छेदसूत्रकार और नियुक्तिकार एक ही भद्रबाहु होते तो नमस्कार का प्रश्न ही नहीं उठता। नियुक्तियों में इतिहास की दृष्टि से भी ऐसी अनेक बातें आई हैं जो श्रुतकेवली भद्रबाहु के बहुत काल बाद घटित हुईं। यह सत्य तथ्य है कि नियुक्तियों में कुछ गाथाएँ बहुत ही प्राचीन हैं तो कुछ गाथाएँ अर्वाचीन हैं। आगम प्रभावक पुण्यविजयजी महाराज का मन्तव्य है कि श्रुतकेवली भद्रबाहु ने भी नियुक्तियों की रचना की थी । उसके पश्चात् गोविन्द वाचक जैसे अन्य आचार्यों ने नियुक्तियाँ लिखीं । उन सभी नियुक्ति गाथाओं का संग्रह कर तथा अपनी ओर से कुछ नवीन -गाथाएँ बनाकर द्वितीय भद्रबाहु ने नियुक्तियों को अन्तिम रूप दिया । २ 'हमारी दृष्टि से 'समवायाङ्ग, स्थानाङ्ग एवं नन्दी में जहाँ पर द्वादशाङ्गी का परिचय प्रदान किया गया वहाँ पर 'संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ' यह पाठ प्राप्त होता है। इससे यह स्पष्ट है कि नियुक्तियों की परम्परा आगमकाल में भी थी । प्रत्येक आचार्य या उपाध्याय अपने शिष्यों को आगम के रहस्य हृदयंगम कराने के लिए अपनी-अपनी दृष्टि से नियं क्तियों की रचना करते रहे होंगे। जैसे वर्तमान प्रोफेसर विद्यार्थियों को नोट्स लिखवाते हैं वैसे ही नियुक्तियाँ रही होंगी । उन्हीं को मूल आधार बनाकर द्वितीय भद्रबाहु ने अन्तिम रूप दिया होगा । नियुक्तिकार भद्रबाहु प्रसिद्ध ज्योतिर्विद वराहमिहिर के भ्राता थे । जो अष्टाङ्ग निमित्त और मंत्रविद्या के निष्णात विद्वान थे। जिन्होंने उपसहरस्तोत्र, भद्रबाहुसंहिता और दस नियुक्तियाँ लिखी हैं। विज्ञों का १ वंदामि महबाहु पाईणं चरिमसगलसुयनाणि । सुत्तस्स कारमिसि, दसासु कप्पे य ववहारे || २ ज्ञानाञ्जलि, तथा मुनिश्री हजारीमल स्मृति ग्रन्थ
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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