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________________ १४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा आगम अंगप्रविष्ट अंगबाह्य आवश्यक आवश्यक व्यतिरिक्त आचार सूत्रकृत स्थान समवाय भगवती (व्याख्याप्रज्ञप्ति) ज्ञाताधकथा उपासकदशा अन्तकृतदशा अनुत्तरोपपातिकदशा प्रश्नव्याकरण विपाक दृष्टिवाद सामायिक चतुर्विशतिस्तव वन्दना प्रतिक्रमण कायोत्सर्ग प्रत्याख्यान कालिक उत्कालिक उत्तराध्ययन अरुणोपपात दशवकालिक सूर्यप्रज्ञप्ति दशाश्रुतस्कंध वरुणोपपात कल्पिकाकल्पिक पौरुषीमंडल कल्प गरुडोपपात चुल्लकल्पश्रुत मण्डल प्रवेश व्यवहार धरणोपपात महाकल्पश्रुत विद्याचरण विनिश्चय निशीथ वेश्रवणोपपात औपपातिक गणिविद्या महानिशीय वेलन्धरोपपात राजप्रश्नीय ध्यानविभक्ति ऋषिभाषित देवेन्द्रोपपात जीवाभिगम मरणविभक्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति उत्थानश्रुत प्रशापना आत्मविशोधि द्वीपसागरप्रज्ञप्ति समुत्थानश्रुत महाप्रज्ञापना वीतरागवत चन्द्रप्राप्ति नागपरितापनिका प्रमादाप्रमाद संलेखनाश्रत क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति निरयावलिका नन्दी विहारकल्प महल्लिकाविमानप्रविभक्ति कल्पिका अनुयोगद्वार चरणविधि अंगचूलिका कल्पावतंसिका देवेन्द्रस्तव आतुर प्रत्याख्यान वैगचूलिका पुष्पिका तन्दुलवैचारिक महाप्रत्याख्यान विवाहचूलिका पुष्पचूलिका चन्द्रवेध्यक वृष्णिदशा
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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