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जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा
भगवान महावीर के शासन में छह महीने से अधिक तपस्या का विधान नहीं है एतदर्थ आरोपणा द्वारा जो प्रायश्चित्त का विधान किया गया है वह भी ६ महिने से अधिक नहीं है।'
हम पूर्व ही लिख चुके हैं कि निशीथ गोपनीय है। इसलिए हम उसका सार यहाँ प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। उसमें संक्षेप में पांच महाव्रत, पाँच समिति, तीन गुप्ति व अन्य संयमी जीवन में जिन दोषों के लगने की सम्भावना है उसके शुद्धिकरण के उपाय वर्णित हैं।
१ जम्हा जियकप्पो इमो। जस्स तिस्थकरस्स जं उक्कोस्सं तवकरणं तस्स तित्थे तमेव उक्कोस पच्छित्तदाणं सेससाणं भवति ।
-निशीथचूणि, भाग ४, पृ० ३०७