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________________ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा आवश्यक का निक्षेप करने के पश्चात् सूत्रकार श्रुत, स्कन्ध और अध्ययन का निक्षेपपूर्वक विवेचन करते हैं । श्रुत भी आवश्यक की तरह ४ प्रकार का है--नामश्रुत, स्थापनाश्रुत, द्रव्यश्रुत और भावश्रुत। श्रुत के श्रुत, सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, शासन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापना- प्रवचन एवं आगम ये एकार्थक नाम हैं। स्कन्ध के भी नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव स्कन्ध ऐसे ४ प्रकार हैं। स्कन्ध के गण, काय, निकाय, स्कन्ध, वर्ग, राशि, पुञ्ज, पिंड, निकर संघात, आकुल और समूह ये एकार्थं नाम हैं । अध्ययन ६ प्रकार का है - सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव वन्दन, प्रतिक्रमण कायोत्सर्ग और प्रत्याख्यान | सामायिक रूप प्रथम अध्ययन के उपक्रम, निक्षेप, अनुगम और नय ये चार अनुयोगद्वार हैं । उपक्रम नामोपक्रम, स्थापनोपक्रम, द्रव्योपक्रम, क्षेत्रोपक्रम, कालोपक्रम और भावोपक्रम रूप ६ प्रकार का है। अन्य प्रकार से भी उपक्रम के छह भेद बताये गये हैं- आनुपूर्वी, नाम, प्रमाण, वक्तव्यता, अर्थाधिकार, समवतार | उपक्रम का प्रयोजन है कि ग्रन्थ के सम्बन्ध में प्रारम्भिक ज्ञातव्य विषय की चर्चा है। इस प्रकार की चर्चा होने से ग्रन्थ में आये हुए क्रमरूप से विषयों का निक्षेप करना। इससे वह सरल हो जाता है । ३३४ आनुपूर्वी के नामानुपूर्वी स्थापनानुपूर्वी, द्रव्यानुपूर्वी, क्षेत्रानुपूर्वी, कालानुपूर्वी, उत्कीर्तनानुपूर्वी, गणनानुपूर्वी, संस्थानानुपूर्वी, सामाचार्यानुपूर्वी, भावानुपूर्वी ये दस प्रकार हैं जिनका सूत्रकार ने अति विस्तार से निरूपण किया है। प्रस्तुत विवेचन में अनेक जैन मान्यताओं का दिग्दर्शन कराया गया है । नामानुपूर्वी में नाम के एक, दो यावत् दस नाम बताये हैं। संसार के समस्त द्रव्यों के एकार्थवाची अनेक नाम होते हैं किन्तु वे सभी एक नाम के ही अन्तर्गत आते हैं । द्वि नाम के एकाक्षरिक नाम और अनेकाक्षरिक नाम ये दो भेद हैं। जिसके उच्चारण करने में एक ही अक्षर का प्रयोग हो १ सुयं सुतं गंयं सिद्धन्त सासणं आण त्ति वयण उवएसो । पण्णवणे आगमे वि य एगट्ठा पज्जवा सुते ॥ २ गण काए निकाए पुंजे य पिंडे चिए खंधे वो तहेव रासी य । निगरे संधाए आउल समूहे ॥ -सू० ४२, गा० १ - सू० १२, गा० १ ( स्कन्धाधिकार)
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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