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अंगबाह्य आगम साहित्य
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उपसंहार
उत्तराध्ययन के इन अध्ययनों में संसार की असारता और श्रमण जीवन के आचार का वर्णन मुख्य रूप से किया गया है। यद्यपि उत्तराध्ययनचूणि में इस आगम को धर्मकथानुयोग में परिगणित किया है किन्तु इसमें आचार का प्रतिपादन होने से चरणानुयोग का और दार्शनिक सिद्धान्तों का वर्णन होने से द्रव्यानुयोग का भी मिश्रण हो गया है।