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६-७. सूर्यप्रज्ञप्ति और चन्द्रप्रज्ञप्ति
नामकरण
सूर्यप्रज्ञप्ति और चन्द्रप्रज्ञप्ति ये कमशः ६ठे और वें उपांग हैं। कई ग्रन्थों में सूर्यप्रज्ञप्ति को पांचवां और चन्द्रप्रज्ञप्ति को सातवां उपांग लिखा है। सूर्यप्रज्ञप्ति में सूर्य आदि ज्योतिष्क चक्र का वर्णन है। इसमें एक अध्ययन, २० प्राभृत, उपलब्ध मूलपाठ २२०० श्लोक परिमाण है। गद्यसूत्र १०८ और पद्यगाथा १०३ हैं। इसी प्रकार चन्द्रप्रज्ञप्ति में भी है। चन्द्रप्रज्ञप्ति में चन्द्र आदि ज्योतिष्क चक्र का वर्णन है। महत्त्व
___डॉ. विन्टरनित्ज सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति को वैज्ञानिक ग्रन्थ स्वीकार करते हैं। अन्य पाश्चात्य विचारकों ने भी उनमें उल्लिखित गणित और ज्योतिष विज्ञान को महत्त्वपूर्ण माना है। डा० शुब्रिग ने जर्मनी की हेमबर्ग यूनिवर्सिटी में अपने भाषण में कहा कि 'जैन विचारकों ने जिन तर्कसम्मत एवं सुसंमत सिद्धान्तों को प्रस्तुत किया वे आधुनिक विज्ञानवेत्ताओं की दृष्टि से भी अमूल्य एवं महत्वपूर्ण हैं। विश्वरचना के सिद्धान्त के साथसाथ उसमें उच्चकोटि का गणित एवं ज्योतिष विज्ञान भी मिलता है। सूर्यप्रज्ञप्ति में गणित एवं ज्योतिष पर गहराई से विचार किया गया है। अतः सूर्यप्रज्ञप्ति के अध्ययन के बिना भारतीय ज्योतिष के इतिहास को सही रूप से नहीं समझा जा सकता।'
पाश्चात्य विचारकों एवं ऐतिहासिक विद्वानों की दृष्टि से सूर्यप्रज्ञप्ति और चन्द्रप्रज्ञप्ति ये महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं। इन्हें हम ज्योतिष व गणित का,
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ideas. Havandard or is not con
He who has a thorough knowledge of the structure of the world cannot but admire the inward logic and harmony of Jain ideas. Hand in hand with the refined cosmographical ideas goes a high standard of Astronomy and Mathematics. A history of Indian Astronomy is not conceivable without the famous 'Surya Pragyapati'.
-Dr. Schubring.