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________________ अंगबाह्य आगम साहित्य २६३ एक तारे से दूसरे तारे का अन्तर, चंद की चार अग्रमहिषियाँ, परिवार, वैक्रियशक्ति, स्थिति आदि का वर्णन है। जम्बूद्वीप में जघन्य, उत्कृष्ट तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासूदेव, निधि, निधियों का परिभोग, पंचेन्द्रिय रत्न तथा उसका परिभोग, एकेन्द्रिय रत्न, जम्बूद्वीप का आयाम, विष्कंभ, परिधि, ऊँचाई, पूर्ण परिमाण, शाश्वत, अशाश्वत कथन की अपेक्षा, जम्बूद्वीप में पांच स्थावर कायों में अनन्त बार उत्पत्ति, जम्बूद्वीप नाम का कारण आदि बताया गया है। उपसंहार इस प्रकार प्रस्तुत आगम में प्राचीन भूगोल का महत्त्वपूर्ण संकलन है । जैनदृष्टि से सृष्टि विद्या के बीज इसमें उपलब्ध होते हैं । आदि तीर्थंकर ऋषभदेव का प्रागऐतिहासिक जीवन चरित्र भी इसमें मिलता है। सम्राट भरत की दिग्विजय का वर्णन भी प्राप्त होता है जिसकी तुलना विष्णु पुराण से कर सकते हैं। भरत और किरातों के युद्ध का वर्णन प्राचीन युद्ध की स्मृति दिलाता है। तीर्थंकरों के कल्याण महोत्सव का वर्णन, जिसका बाद के ग्रन्थों में विस्तार से उल्लेख है, बीज इस आगम में है।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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