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________________ २६२ जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा शिला पर तीर्थंकर को अभिषेक के लिए ले जाता है। ईशानेन्द्रादि सभी इन्द्र मेरु पर्वत पर आते हैं और तीर्थोदक से अभिषेक करते हैं। पुनः तीर्थंकर को माता के पास लाते हैं और दिव्य वस्त्रयुगल, कुंडलयुगल देकर हिरण्य, सुवर्ण, रत्नादि के द्वारा शक्रेन्द्र के आदेश से वैश्रमण देव तीर्थंकर के निवास को भर देते हैं । ara areकार में जम्बूद्वीपगत पदार्थ संग्रह का वर्णन है । जम्बूद्वीप के प्रदेशों का लवणसमुद्र से स्पर्श और जीवों का जन्म, जम्बूद्वीप में भरत, ऐरावत, हैमवत, हिरण्यवत, हरिवास, रम्यकवास और महाविदेह, इनका प्रमाण, वर्षधर पर्वत, चित्रकूट, विचित्रकूट, यमक पर्वत, कंचन पर्वत, वक्षस्कार पर्वत, दीर्घ वैताढ्य पर्वत, वर्षधरकूट, वक्षस्कारकूट, वैताढ्यकूट, मंदरकूट, मागधतीर्थ, वरदामतीर्थ और प्रभासतीर्थ, विद्याधर श्रेणियाँ, चक्रवर्ती विजय, राजधानियाँ, तिमिस्रगुफा, खंड-प्रपात गुफा, नदी और महानदियों आदि का इसमें विस्तार से वर्णन किया गया है। सातवें वक्षस्कार में ज्योतिष्क का वर्णन है । जम्बूद्वीप में दो चन्द्र, दो सूर्य, ५६ नक्षत्र, १७६ महाग्रह, प्रकाश करते हैं। उसके बाद सूर्य मंडलों की संख्या आदि का निरूपण है। सूर्य की गति दिन और रात्रि का मान, सूर्य के आतप का क्षेत्र, पृथ्वी से सूर्य आदि की दूरी, सूर्य का ऊर्ध्वं और तिर्यक् ताप, चन्द्रमंडलों की संख्या, एक मुहूर्त में चन्द्र की गति, नक्षत्रमंडल एवं सूर्य के उदय अस्त के सम्बन्ध में प्रकाश डाला गया है। संवत्सर पाँच प्रकार के हैं। नक्षत्र, युग, प्रमाण, लक्षण व शनैश्चर । नक्षत्र संवत्सर के १२ भेद बताये हैं। युग संवत्सर, प्रमाण, लक्षण संवत्सर के ५-५ भेद हैं और शनैश्चर संवत्सर के २८ भेद हैं। प्रत्येक संवत्सर के १२ महीने होते हैं । उनके लौकिक और लोकोत्तर नाम बताये हैं। एक महिने के दो पक्ष, एक पक्ष के १५ दिन १५ रात्रि और १५ तिथियों के नाम, मास, पक्ष, करण, योग, नक्षत्र, पौरुषीप्रमाण, आदि पर विस्तार से विवेचन किया गया है। चन्द्र का परिवार; मंडल में गति करने वाले नक्षत्र: पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा में चन्द्र विमान को वहन करने वाले देव; सूर्य, ग्रह, नक्षत्र, तारा के विमानों को वहन करने वाले देव; ज्योतिषी देवों की शीघ्र गति, ज्योतिषी देवों में अल्प और महाऋद्धि वाले देव, जम्बूद्वीप में
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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