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अंगबाह्य आगम साहित्य २२५
उपसंहार
इस प्रकार प्रस्तुत आगम में द्वीप और सागरों का विस्तार से वर्णन है । इसमें १६ प्रकार के रत्न, अस्त्र-शस्त्रों के नाम, धातुओं के नाम, कल्पवृक्ष, विविध प्रकार के पात्र, विविध आभूषण, भवन, वस्त्र, ग्राम, नगर, राजा आदि के नाम बताये हैं। त्योहार, उत्सव, नट, यान, आदि विविध प्रकार के नाम आदि भी वर्णित हैं। इसी तरह कला, युद्ध व रोग आदि के नाम बताये हैं। इसमें उद्यान, वापी, पुष्करिणी, कदलीघर, प्रसाधनघर आदि का सरस व साहित्यिक वर्णन है। कला की दृष्टि से सांस्कृतिक सामग्री का इसमें प्राचुर्य है ।
इस प्रकार प्रस्तुत आगम में जीव और अजीव का अभिगम हैं । समग्र ग्रंथ में जीव निरूपण का क्रम, जीव के जो विविध भेद हैं उनको प्रधान रूप में रखकर किया गया है अर्थात् पहले संसारी जीवों के दो भेद से लेकर दश भेदों का वर्णन है । इसमें क्रमश: जीव के भेदों का निरूपण और उन भेदों में उन जीवों की स्थिति, अंतर, अल्पबहुत्व आदि का वर्णन है ।
सामान्य रूप से ऐसा कह सकते हैं कि समग्र ग्रंथ दो विभागों में विभक्त है। प्रथम विभाग में अजीव का और संसारी जीवों के भेदों का तथा दूसरे में समग्र जीवों के यानि संसारी और सिद्ध इन दोनों का समावेश हो जाय इस प्रकार भेद निरूपण है । यह अंगबाह्य सूत्र स्थविरकृत है ।