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________________ अंगबाह्य आगम साहित्य २२१ लवणसमुद्र और धातकीखंडद्वीप का परस्पर स्पर्श, लवणसमुद्र के जीवों की धातकीखण्ड में परस्पर उत्पत्ति, लवणसमुद्र नाम का कारण, लवणाधिपति सुस्थित देव की स्थिति, लवणसमुद्र की नित्यता, उसमें चंद्र, सूर्य नक्षत्र, महाग्रह, तारा आदि की संख्या । अष्टमी आदि तिथियों में लवणसमुद्र का ज्वारभाटा (भरती और घटती), उसमें चार पाताल कलश आदि का वर्णन है । लवणाधिप सुस्थित देव, गौतम द्वीप का स्थान, वनखंड, क्रीडास्थल, मणिपीठिका और उसके नाम के कारण का वर्णन है । जम्बूद्वीप के चन्द्रद्वीप का स्थान, ऊँचाई, आयाम, विष्कंभ, क्रीडास्थल, प्रासादावतंसक, मणिपीठिका का परिमाण, नाम का हेतु आदि, इसी प्रकार जम्बूद्वीप के सूर्य और उनके द्वीपों का वर्णन है । लवणसमुद्र के बाहर चन्द्र-सूर्य और उनके द्वीप, घातकीखण्ड के चन्द्र, सूर्य और उनके द्वीप, कालोदधिसमुद्र के चन्द्र, सूर्य और उनके द्वीप, पुष्करवरद्वीप के चन्द्र, सूर्य और उनके द्वीप, लवणसमुद्र के वेलंधर मच्छ, कच्छप, बाह्य समुद्रों में वेलंधरों का अभाव, लवणसमुद्र के उदक का वर्णन, उसमें वर्षा आदि का सद्भाव किन्तु बाह्य समुद्रों में अभाव, उसका संस्थान, चक्रवाल, विष्कंभ, परिधि, उद्वेध आदि का वर्णन है । aranteus का संस्थान, चक्रवाल, विष्कंभ, चक्रवाल परिधि, sarafter और वनखंड, उसके द्वार, उनके अन्तर धातकीखण्ड और कालोदधि का स्पर्श, जीवों की उत्पत्ति, नाम का हेतु, घातकीखण्ड के वृक्ष और देव देवियों की स्तुति, उसकी नित्यता, घातकीखण्ड के चन्द्र, सूर्य, महाग्रह, नक्षत्र, तारागण आदि का वर्णन है । कालोद समुद्र का संस्थान, चक्रवाल, विष्कंभ, परिधि, पद्मवरवेदिका, वनखंड, चार द्वार, उनका अन्तर, कालोद समुद्र व पुष्करवरद्वीप का परस्पर स्पर्श, जीवों की परस्पर उत्पत्ति, नाम का कारण, काल, महाकाल देव की स्थिति, कालोद समुद्र की नित्यता, उसके चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र आदि का वर्णन किया गया है। पुष्करवरद्वीप का संस्थान, चक्रवाल, परिधि, पद्मवरवेदिका वनखंड, चार द्वार, उनका अन्तर, द्वीप और समुद्र के प्रदेशों का स्पर्श, जीवों की परस्पर उत्पत्ति, नाम का हेतु, पद्म और महापद्म वृक्ष, पद्म और
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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