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अंगबाह्य आगम साहित्य २१६ ज्योतिषी देवों की तीन-तीन परिषदों का वर्णन है । द्वीप समुद्रों का स्थान, संख्या, संस्थान आदि का वर्णन है ।
जम्बूद्वीप के वृत्ताकार की उपमाएँ, उसके संस्थान की उपमाएं, जम्बूद्वीप का आयाम, विष्कंभ, परिधि, जगती की ऊँचाई, उसके मूल, मध्य और ऊपर का विष्कंभ, उसका संस्थान, जगती की जाली की ऊँचाई व विष्कंभ, पद्मवेदिका की ऊँचाई, विष्कंभ, उसकी जालिकाएँ, घोड़े आदि के चित्र, वनलता आदि लताएँ, अक्षय, स्वस्तिक, विविध प्रकार के कमल, शाश्वत या अशाश्वत नित्यता आदि का वर्णन है ।
जम्बूद्वीप के वनखंड का चक्रवाल, विष्कंभ, विविध वापिकाएँ उनके सोपान व तोरण, समीपवर्ती पर्वत, उनके शिलापट्ट, अनेक लतागृह, मंडप, शिलापट्ट उन पर देव देवियों की क्रीड़ाएँ आदि विषयों का वर्णन है ।
जम्बूद्वीप के विजय द्वार का स्थान, उसकी ऊँचाई, विष्कंभ तथा कपाट की रचना का विस्तृत वर्णन है। विजय देवों के सामानिक देवों के, अग्रमहिषियों के तीन परिषदों के आत्मसंरक्षक देवों आदि के भद्रासनों का वर्णन है । विजयद्वार के ऊपरी भाग का वर्णन किया गया है, उसके नाम का हेतु उसके परिवार व विजयद्वार का नाम शाश्वत है - यह भी बताया गया है ।
जम्बूद्वीप की विजया राजधानी का स्थान, उसका आयाम, विष्कंभ, परिधि, प्राकार की ऊँचाई, प्राकार के मूल, मध्य और ऊपरी भाग का विष्कंभ, उसका संस्थान, कपिशीर्षक का आयाम, विष्कंभ, उसके द्वारों की ऊँचाई और विष्कंभ, द्वारों का द्वार, चार वनखण्ड, उनका आयाम, विष्कंभ, दिव्य प्रासाद, उसमें चार महधिक देव, परिधि, पद्मवरवेदिका वनखंडसोपान व तोरण, प्रासादावतंसक, मणिपीठिका, सिंहासन, अष्टमंगल, समीपवर्ती प्रासादों की ऊँचाई, आयाम, विष्कंभ, अन्य पार्श्ववर्ती प्रासादों की ऊँचाई, आयाम, विष्कंभ आदि का वर्णन है ।
विजयदेव की सुधर्मा सभा, ऊँचाई, आयाम, विष्कंभ, उसके तीन द्वारों की ऊँचाई व विष्कंभ, मुख्य मंडपों का आयाम, विष्कंभ और ऊँचाई, प्रेक्षागृह मंडपों का आयाम, ऊँचाई, विष्कंभ, मणिपीठिकाओं का आयाम, विष्कंभ और बाहुल्य, चैत्यवृक्षों की ऊंचाई, महेन्द्रध्वजाओं की ऊँचाई, सिद्धायतन का आयाम, विष्कंभ आदि का वर्णन किया गया है।