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________________ ( २७ ) २. राजप्रश्नीयसूत्र २०६-२१५ नामकरण २०६, केशी-प्रदेशी संवाद २१०, उपसंहार २१५ जीवाभिगम २१६-२२५ नामकरण २१६, प्रथम प्रतिपत्ति २१६, द्वितीय प्रतिपत्ति २१७, तृतीय प्रतिपत्ति २१७, चतुथं प्रतिपत्ति २२३, पंचम प्रतिपत्ति २२३, षष्ठम जीव प्रतिपत्ति २२४, सप्तम जीव प्रतिपत्ति २२४, अष्टम जीव प्रतिपत्ति २२४, नवम जीव प्रतिपत्ति २२४, उपसंहार २२५ प्रज्ञापनासूत्र २२६-२५४ नामकरण २२६, प्रज्ञापना का अर्थ २२६, प्रज्ञापना का आधार २२८, रचना-शैली २२६, विषय विभाग २३०, प्रज्ञापना का भगवती विशेषण २३०, प्रज्ञापना के रचयिता २३१, निवास-स्थान २३४, भाषापद २४३, उपसंहार २५४ ५. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति २५५-२६३ नामकरण २५५, विषय-वस्तु २५५, उपसंहार २६३ ६-७. सूर्यप्रज्ञप्ति और चन्द्रप्रज्ञप्ति २६४-२७० नामकरण २६४, महत्त्व २६४, विषय-वस्तु २६५, उपसंहार २७० ५-१२. निरयावलिया आदि पाँच सूत्र २७१-२७८ (कप्पिया, कप्पवउंसिया, पुष्फिया, पुष्पचुलिया, वव्हिदसा) कप्पिया २७१, कल्पावतंसिका २७२, पुष्पिका २७३, पुष्पचूला २७७, वृष्णिदशा २७७, उपसंहार २७८ मूल मागम साहित्य २७६-३४५ उत्तराध्ययनसूत्र २८०-३०५ नामकरण २८०, उत्तराध्ययन का कर्तृत्व २८२, क्या उत्तराध्ययन भगवान महावीर की अन्तिम वाणी है? २८८, विषय-वस्तु २६१, उपसंहार ३०५ २. दशवकालिकसूत्र नामकरण ३०६, दशवकालिक का कर्तृत्व ३०७, दशवकालिक का रचना काल ३१०, विषय-वस्तु ३११ नंदीसूत्र ३१७-३२६ नामकरण ३१७, विषय-वस्तु ३१७, ज्ञान (तालिका) ३१६, चार प्रकार की बुद्धि ३२४, श्रुतज्ञान के भेद ३२५, प्रस्तुत आगम का महत्त्व ३२६, प्रस्तुत आगम के संस्करण ३२६, नंदीसूत्र के रचयिता ३२७, रचना काल ३२८
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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