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________________ विषयानुक्रमणिका - प्रथम खण्ड - जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन १-४४ जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन ३-४४ आगम साहित्य का महत्त्व ३, आगम के पर्यायवाची शब्द ४, आगम . की परिभाषा ५, पूर्व और अंग ८, पूर्व ६, अंग १०, अंगप्रविष्ट और अंगबाह्य १२, आगम (तालिका) १४, दिगम्बर मान्यतानुसार आगमों का वर्गीकरण (तालिका) १५, अनुयोग १६, अंग, उपांग, मूल और छेद १६, श्रुतपुरुष २५, नियूहण आगम २७, ४५ आगमों के नाम दस पइन्ना सहित ३०, ८४ आगमों के नाम ३१, ३२ आगम ३३, जैन आगमों की भाषा ३३, आगम वाचनाएँ ३५, आगम विच्छेद का क्रम ३८, लेखन परम्परा ३६, आगम लेखन युग ४२ द्वितीय खण्ड--अंग साहित्य : एक पर्यालोचन ४५-१९८ १. आचारांगसूत्र ४७-७७ आचारांग का महत्त्व ४७, विषय-वस्तु ६०, पर्यायवाची नाम ६१, रचना-शैली ६४, प्रथम श्रुतस्कन्ध ६५, द्वितीय श्रुतस्कन्ध ७४, उप। संहार ७७ २. सूत्रकृतांगसूत्र ७६-६५ नामबोध ७८, विषयवस्तु ७६, वर्गीकरण ८०, प्रथम श्रुतस्कन्ध ८१, द्वितीय श्रुतस्कन्ध ८६, उपसंहार ६५ ३. स्थानांगसूत्र ६६-१०० नामबोध ९६, शैली६६, महत्त्व ६६, विषयवस्तु ६७, क्या यह आगम अर्वाचीन है ? ६७, दस स्थान ६८, उपसंहार १०० ४. समवायांग .१०१-१११ नामबोध १०१, विषय-वस्तु १०१, उपसंहार ११० ५. व्याख्याप्राप्ति (भगवतीसूत्र) ११२-१२६ - नामकरण ११२, विषय-वस्तु ११३, शतकों का परिचय ११४, प्रस्तुत आगम का महत्त्व १२५, भाषा व शैली १२६, मंगलाचरण १२७, उपसंहार १२८
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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