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________________ अंग साहित्य : एक पर्यालोचन १५३ (४) पौषध प्रतिमा - अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा आदि पर्व दिनों में आहार, शरीर-संस्कार, अब्रह्मचर्य और व्यापार का त्याग - इस तरह चतुविध त्याग रूप प्रतिपूर्ण पोषध व्रत का पालन करना, पौषध प्रतिमा है । यह प्रतिमा चार माह की होती है। (५) नियम प्रतिमा - उपर्युक्त सभी व्रतों का सम्यक् प्रकार से पालन करते हुए प्रस्तुत प्रतिमा में निम्न नियम विशेषरूप से पालन करने होते हैं - वह स्नान नहीं करता। रात्रि में चारों प्रकार के आहार का परित्याग करता है। दिन में भी वह प्रकाश में ही भोजन करता है। धोती की लांग नहीं देता । दिन में पूर्ण ब्रह्मचारी रहता है, रात्रि में भी मैथुन की मर्यादा करता है। पौषध होने पर रात्रि मैथुन का त्याग और रात्रि में कायोत्सर्ग करना होता है। यह प्रतिमा कम से कम एक दिन और अधिक से अधिक पांच मास तक की होती है । (६) ब्रह्मचर्य प्रतिमा - ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करना। इस प्रतिमा की काल मर्यादा जघन्य एक रात्रि और उत्कृष्ट छह मास की होती है । (७) सचितत्याग प्रतिमा - सचित्त आहार का पूर्ण रूप से त्याग करना । यह प्रतिमा जघन्य एक रात्रि की और उत्कृष्ट सात मास की होती है । (८) आरम्भत्याग प्रतिमा - इस प्रतिमा में साधक स्वयं आरम्भ नहीं करता। वह छह काय के जीवों की दया पालता है। इसकी काल मर्यादा जघन्य एक, दो, तीन दिन और उत्कृष्ट आठ मास की होती है। (e) प्रेष्यत्याग प्रतिमा - इस प्रतिमा में अन्य के द्वारा आरम्भ कराने का भी त्याग होता है। वह स्वयं आरम्भ नहीं करता, न दूसरों से करवाता है किन्तु अनुमोदन का उसे त्याग नहीं होता। इस प्रतिमा का जघन्यकाल एक, दो, तीन दिन और उत्कृष्ट काल नौ मास है । (१०) उद्दिष्टभक्तत्याग प्रतिमा- प्रस्तुत प्रतिमा में उद्दिष्ट भक्त का भी त्याग होता है अर्थात् अपने निमित्त से बनाया गया भोजन भी ग्रहण नहीं किया जाता। उस्तरे से सर्वथा शिरोमुण्डन करना होता है, या शिखामात्र रखनी होती है। किसी गृहस्थ सम्बन्धी विषयों के पूछे जाने पर यदि वह जानना है तो जानता हूँ और यदि नहीं जानता है तो नहीं जानता हूँ - इतना मात्र कहे किन्तु उसके लिए अधिक वाग्व्यापार न करे । यह प्रतिमा जघन्य एक रात्रि की और उत्कृष्ट दस मास की होती है ।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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