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________________ अंग साहित्य : एक पर्यालोचन ८७ चारों ओर खिलते हुए कमलों के सदृश हैं। मध्य में जो पुण्डरीक कमल खिल रहा था वह राजा के सदृश है। पुष्करणी में प्रवेश करने वाले चारों पुरुष तज्जीवतच्छरीरवादी, पंचभूतवादी, ईश्वरकारणवादी और नियतिवादी हैं। कुशल श्रमण धर्म रूप है, किनारा धर्मतीर्थ रूप है और श्रमण द्वारा कथित शब्द धर्मकथा सदृश है और पुण्डरीक कमल का उठना निर्वाण के समान है । जो साधक अनासक्त, निस्पृह व अहिंसादि महाव्रतों को जीवन में मूर्तरूप देने वाले हैं, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं । द्वितीय अध्ययन का नाम क्रियास्थान है । क्रियास्थान का अर्थ है प्रवृत्ति का निमित्त । प्रवृत्तियों के अनेक कारण होते हैं । प्रस्तुत अध्ययन में उन प्रवृत्तिनिमित्त क्रियास्थानों पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है । क्रियास्थान- धर्म क्रियास्थान और अधर्मंक्रियास्थान रूप से दो प्रकार का है। Raftaareera के अर्थदण्ड, अनर्थदण्ड, हिंसादण्ड, अकस्मात्दण्ड, दृष्टिविपर्यासदण्ड, मृषा प्रत्ययदण्ड, अदत्तादान प्रत्ययदण्ड, अध्यात्म-प्रत्ययदण्ड, मान- प्रत्ययदण्ड, मित्रदोष-प्रत्ययदण्ड, माया प्रत्ययदण्ड, लोभ-प्रत्ययदण्ड, ये बारह प्रकार हैं। और धर्म क्रिया-स्थान में धर्महेतुप्रवृत्ति बताई गई है। हिंसादि प्रवृत्ति जो किसी प्रयोजन हेतु की जाती है वह अर्थदण्ड है । इसमें स्वयं की जाति, स्वजन-परिजन आदि के निमित्त स और स्थावर जीवों की हिंसा का समावेश होता है । बिना किसी प्रयोजन के केवल स्वभाव के कारण या मनोरंजन की दृष्टि से की जाने वाली हिंसा अनर्थदण्ड है । अमुक व्यक्ति ने या प्राणी ने मेरे सम्बन्धी को मारा है या मारेगा ऐसा सोचकर जो मानव उन्हें मारने की प्रवृत्ति करता है वह हिंसादण्ड का भागी होता है। मृग आदि को मारने की दृष्टि से बाणादि अस्त्र छोड़ा गया - अकस्मात् वह उसे न लगकर अन्य पक्षी आदि को लग गया जिससे उसका वध हो गया यह अकस्मात्दण्ड है । १ तज्जीवतच्छरीरवाद एवं पंचभूतवाद दोनों में अन्तर यह है कि प्रथम के मत से शरीर और जीव एक ही हैं जबकि दूसरे के मत से जीव की उत्पत्ति पाँच भूतों के सम्मिश्रण से होती है। वे पाँच भूत के अतिरिक्त छठा जीव भी मानते हैं। वृत्तिकार ने इस वादी को सांख्य लिखा है ।
SR No.091016
Book TitleJain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1977
Total Pages796
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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