________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[ ७७३ ]
कनक-त्रावनकोर । ( पद्म०) कनिष्कपुर-श्रीनगर से दस मील दक्षिण की ओर कनिष्क की बसाई नगरी, जहाँ ७८ ई० में
अन्तिम यौद्धसंगीति' का अधिवेशन तथा 'शक संवत्' का प्रवर्तन हुआ था। कन्या(कुमारी)- केप कौमोरिन' (सु)कुमारी। कपिलवास्तु-शाक्यों की राजधानी, भगवान् बुद्ध की जन्मभूमि-जो आज फैजाबाद से २५ मील
उत्तरपूर्व में, 'भुइला' के नाम से विदित है। कपिलाश्रम-बंगाल में सागर-संगम' तीर्थ, जहाँ महाराज सगर के अश्वमेधीय अश्व का इन्द्र ने अपहरण किया था। कपिशा-कुभा ( काबुल ) नदी के नाम पर उसका 'उत्तरप्रदेश' भी 'कपिशा' कहलाने लगा; कभी कपिशा नगरी 'गान्धार' साम्राज्य की राजधानी थी। २. रघुवंश में उड़ीसा की 'स्वर्गरेखा' ( नदी ) को कवि ने 'कपिशा' (पलाशिनी) कहा है। कम्बोज-(पूर्वी ) अफगानिस्तान । अपग। (राजत०, मार्कण्डेय०) यास्क के अनुसार 'ग़लचा' भाषावर्ग का प्रदेश, जहाँ आज भी (!) Vशु ( गतौ ) का क्रियात्मक प्रयोग ( मात्र 'शव = प्रेत' नहीं ) होता है; और जिसे अर्जुन ने अपनी दिग्विजय में युधिष्ठिर के साम्राज्य में जोड़ा था । ( महा०) करतोया-रंगपुर, दीनाजपुर, बोगरा में से गुजरती हुई एक तीर्थ नदी सदानीरा, जो कमी बंगाल तथा कामरूप ( आसाम ) की विभाजक रेखा थी। ( स्कन्द) कर्ण सुवण-( बंगाल में ) मुर्शिदाबाद जिले में, रंगामाटो ( कानसोना ), जो की आदिशर
की राजधानी थी। कट-कुन्तलदेश, राज० कल्याणपुर । कर्तपुर-कुमाऊँ, गढ़वाल, अलमोड़ा, कांगड़ा का पर्वतीय राज्य–जिसे समुद्रगुप्त ने विजित
कर गुप्त साम्राज्य का अंग कर लिया था। (हरिषेण०) कलकुण्ड-( हैदराबाद में हीरों की खानों के लिए प्रसिद्ध ) गोलकुण्डा; 'सर्वदर्शनसंग्रह'-कार
माधवाचार्य की जन्मभूमि । कलळि(टि)-(केरल में ) शंकराचार्य की जन्मभूमि । कलिंग-'उत्तरी सरकार' का इलाका, जिसकी 'युद्धविजय' से खिन्न हुए अशोक में 'धर्मविजय' की प्रेरणा जगी थी। 'कलिंगविजय', भारत ही की नहीं, विश्व-भर को आत्मा में एक नवल चेतना-स्पर्श का मुहूर्त है। ( एच० जी० वेल्स) कलिंगनगर-(उड़ीसा में ) भुवनेश्वर (पुरी)। (दशकुमार०) कल्याणपुर-(निजाम साम्राज्य में ) बीदर के ६ मील पश्चिम में, चालुक्यों ( के कुन्तलदेश)
की राजधानी। काञ्ची (पुर)-कांजिवेरम्, जो शंकराचार्य द्वारा स्थापित 'विष्णुकाञ्ची' मन्दिर के लिए तथा 'नालन्दा विश्वविद्यालय' के लिए प्रसिद्ध है। अष्टमूर्ति शिव की 'भौतिक' मूत्तियों में 'आकाश. तच' की प्रतीक मूर्ति (चिदम्बरम् ) इधर दक्षिण में हो क्यों मिलती है ? ( दे० अरुणाचल) कान्यकुब्ज-विश्वामित्र की जन्मभूमि ( रामायण ), तथा ( बौद्धयुग ) में दक्षिण-पाञ्चालों की
राजधानी--कन्नौज। हर्षवर्धन से पूर्व यह कुछ समय तक मौखरियों की राजधानी भी रहा। इसी के ( 'त्रिकोग' दुर्ग के) दक्षिण-पश्चिम में स्थित 'रंग-महल' से हो पृथ्वीराज ने संयोगिता
का हरण किया था । ( भविष्य०) कामरूप-असम ( अहोम, उच्चारण 'आसाम' नहीं) जिसकी राजधानी थी-प्राग्ज्योतिष । कुछ विद्वान् प्राग्ज्योतिष का कामाख्या अपिवा गोहाटी से एकीकरण करते हैं । ( मेघदूत,
For Private And Personal Use Only