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कालिका पु० ) कुछ हो, 'कामदहन' का सारा का सारा वातावरण ( तीर्थों तथा लोकवाङमय की साक्षी पर ) इधर ही अधिक उचित उतरता है । ( मेघदूत ) काम्पिल्य-दक्षिण पंचाल (द्रुपददेश) की राजधानी । कार्तिकेयपुर-( कुमाऊँ में ) बैजनाथ (वैद्यनाथ) तीर्थ । ( देवो पु०) कालीघाट-सती से सम्बद्ध इसी 'पीठ' के आधार पर 'कलकत्ता' का नामकरण हुआ प्रतीत होता है। काश्यपपुर-उपनिषदों के 'चरैवेति' युग में ऋषि कश्यप द्वारा संस्थापित ( उपनिवेशित)
नगरों, प्रदेशों का 'सर्वनाम', यथा-काश्मीर, मुलतान । काश्यपीगंगा-गुजरात की साबरमती (नदी)। ( पद्म०) किम्पुरुष (देश) नेपाल। किरात (देश)-नेपाल के सुदूरपूर्व की ओर किरातों की बस्ती--(त्रिपुरा) तिपारा, जहाँ
'त्रिपुरेश्वरी' का तीर्थमन्दिर है । ( ब्रह्म०)। किष्किन्धा-तुङ्गभद्रा के दक्षिण तट पर धारवाळ में आज भी इसे उसी पुराने नाम से लोग जानते हैं। लोकगाथा के अनुसार, यहीं (राक्षस ) बाली का ध्वंस हुआ था। अयोध्या से किष्किन्धा तथा किष्किन्धा से लंका-कुल दो सौ मील की दूरी थी। 'लंका'-सिंहल (सीलोन) नहीं है। कुण्डग्राम-वैशाली का एक और नाम, जो महावीर की जन्मभूमि था और आधुनिक
मुजफ्फरपुर ( तिरहुत ) में अवस्थित था । ( जैनसूत्र ) कुण्डिनपुर-विदर्भ की प्राचीन राजधानी, बीदर (?) । (मालतीमाधव ) कुन्तल (देश)-नर्मदा, तुङ्गभद्रा, पश्चिमसागर और गोदावरी से सीमित इस प्राचीन देश ने,
चालुक्यों तथा मराठों के हाथ कई उत्थान-पतन देखे, कई राजधानियाँ ( कल्याण, नासिक) बदली । (दशकुमार०, तारातन्त्र ) (कुन्ती) भोज-मालवदेश का एक पुराना नगर, जहाँ पाण्डवों की माता का बाल्यकाल,
'कुन्तीभोज' की छत्रछाया में बीता था। कुभा (कुहु)-काबुल ( नदी)। कुमारवन-कुमाऊँ, कूर्माचल। (विराटपर्व) कुम्भधोण-तंजोर जिले में चोलों की राजधानी तथा विद्यापीठ रहा है। (चैतन्यचरित०) कुरुक्षेत्र-'महा'भारतों का धर्मक्षेत्र भी, युद्धक्षेत्र भी-थानेसर। . कुरुजांगल-रितनापुर के दक्षिण पश्चिम का 'आरण्यक' प्रदेश । कृलिन्द (देश)-कभी सतलज तथा गंगा के बीच का सारा प्रदेश 'कुलिन्द' कहलाता था,
आज गढ़वाल के साथ ( उत्तर ) दिल्ली तथा सहारनपुर उसमें शामिल करने होंगे। ( महा०) कुलूत-कुल्लू ; कभी कुलिन्द का ही एकांश था। (बृहत्संहिता) कुश(भवन)पुर-अवध में गोमती के तट पर, सुलतानपुर । इक्ष्वाकुओं की पुरानी राजधानी
अयोध्या को छोड़कर, कुश इधर आ बसा था । ( रघु० ) कुशाग्रपुर-मगध की प्राचीन राजधानी, राजगृह, गिरिवज्र । कुशस्थली-द्वारिका। इतिहास में आनों की राजधानी भी रही है। प्रसिद्ध विद्वान् कीथ ने इसे (मुन्शीजी की 'हिस्टरी आव गुजरात' पर संमति देते हुए ) श्रीकृष्ण, दयानन्द तथा गांधी की जन्मभूमि होने का श्रेय दिया है। कुशीनगर-जहाँ भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था, गोरखपुर के निकट आधु० 'कसिया' गाँव ( विल्सन)।
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