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[ ७४१ ]
नपामामामालाPARAN
उदाहरण
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(क) अथ मदनवधूरुपप्लवान्तं
।। ।।।।, sis,ss व्यसनकृशा परिपालयांबभूव । शशिन इव दिवातनस्य लेखा
न ज ज र --- -----गु किरण परिक्षयधूसरा प्रदोषम् ॥ (बुमारसम्भव ४।४६)
।।।, ।।,151, sss (ख ) प्रभु सम नहिं अन्य कोइ दाता,
सुध न जु ध्यावत तीन लोक त्राता। सकल असत कामना विहाई, हरि नित स्वहु मित्त चित्त लाई ॥ (भानुकवि ) (ग)वर्णवृत्त, विषम छन्,
उद्गता लक्षण-प्रथमे सजौ यदि सलौ च नसजगुरुकाण्यनन्तरम् ।
यद्यथ भनजलगाः स्युरथो सजसा जगौ च भवतीयमुद्गता ॥ अर्थ-उद्गता के प्रथम चरण में सगण, जगण, सगण और लघु के क्रम से १० अक्षर, द्वितीय चरण में नगण, सगण, जगण और गुरु के क्रम से १० अक्षर, तृतीय चरण में भगण, नगण, जगण और लघु-गुरु के क्रम से ११ अक्षर तथा चतुर्थ चरण में सगण, जगण, सगण, जगण और गुरु के क्रम से १३ अक्षर होते हैं । (१०, १०, ११, १३) उदाहरण
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अथ वासवस्य वचनेन, ।। ,SI, 15, न स ज
- - --गु रुचिरवदनस्त्रिलोचनम्। ।।।।।s, I s, Is भ न ज
ल गु क्लान्तिरहितमभिराधयितुं,
।।।।।, ISI, Is स ज स ज -- -- -- -गु विधिवत्तपांसि विदधे धनंजयः ॥ (किरातार्जुनीय १२६१) ।!s,ISI, SI,S
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