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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ७३५ ] - - - उदाहरण (क) जाड्यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यं, ss 1 ।।।5।। 51, ss मानोन्नति दिशति पापमपाकरोति । चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्ति, सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ॥ (नीतिशतक) ( ख ) रोगी दुखी विपत-आपत में पड़े की, सेवा अनेक करते निज हस्त से थे। ऐसा निकेत व्रज में न मुझे दिखाया, कोई जहाँ दुखित हो पर वे न होवें ॥ ( हरिऔध ) प्रति चरण १५ वर्णवाले छन्द (१) मालिनी लक्षण-ननमयययुतेयं मालिनी भोगिलोकैः । (विराम ८, ७ पर ) अर्थ-मालिनी के प्रत्येक चरण में नगण, नगण, मगण और दो यगण के क्रम से १५ अक्षर होते हैं । भोगी ( ८ ), लोक (७) पर यति होती है। उदाहरण न न म य य (क) मनसि वचसि काये, पुण्यपीयूषपूर्णा ।।।, ।।।, sss, Iss, Iss त्रिभुवनमुपकारश्रेणिभिः प्रीणयन्तः। परगुणपरमाणन् , पर्वतीकृत्य नित्यं निजहृदि विकसन्तः, सन्ति सन्तः कियन्तः ॥ (नीतिशतक ) (ख ) सहृदय जन के जो, कंठ का हार होता, मुदित मधुकरी का, जीवनाधार होता। वह कुसुम रँगीला, धूल में जा पड़ा है, नियति नियम तेरा, भी बड़ा ही कड़ा है ।। (रूपनारायण पांडेय) (२) चामर ( अन्य नाम-तूणक) लक्षण-तूणकं समानिका पदद्वयं विनान्तियम् ॥ (विराम ८, ७) अर्थ-तूणक या चामर छंद के प्रत्येक चरण में रगण, जगण, रगण, जगण और रगण के क्रम से १५ अक्षर होते हैं । आठवें और पादान्त में यति होती है । उदाहरण र ज र ज र (क)सा सुवर्णकेतकं विकाशि भृङ्गपूरितं, SIS, ISI, Is, I SI, Sts पंचबाणबाणजालपूर्णहेतितूणकम् । राधिका वितळ माधवाद्यमासि माधवे, मोहमेति निर्भरं त्वया विना कलानिधे ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.091001
Book TitleAdarsha Hindi Sanskrit kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamsarup
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages831
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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