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अतिरिक्त "संस्कृत का बृहत्तम कोष" प्रकाशन करने की योजना डेक्कन कालेज, पुणे के शोध-विभाग के निदेशक सुप्रसिद्ध विद्वान् डा० एस० एम० कात्रे ने भी प्रस्तुत की है। उनके साथ अनेक विज्ञ सहयोगी भी इस कार्य में संलग्न हैं । अव तक इस कोश के ३ खण्ड प्रकाशित हुए हैं। इसके समग्र भाग प्रकाशित होने पर कोश-साहित्य का क्षेत्र अधिक विस्तृत हो जायगा । इसकी विशेषता यह है कि शब्दों का अर्थ देने में भाषा-वैज्ञानिक पद्धति का आश्रय लिया जा रहा है तथा यह प्रयत्न किया जा रहा है कि अधिकाधिक प्रचलित शब्दों का विधिवत् समाकलन हो जाय ।
शब्दराशि को समाकलित करने में विद्वानों की प्रवृत्ति आज भी देखी जाती है। इस प्रवृत्ति में शब्दों का प्रयोग एवं प्रचलन ही मुख्य कारण है। शब्दों के प्रचलन एवं प्रयोग होने में देश-काल की परिस्थिति मुख्य रूप से साधक होती है। अतः कोष-रचना की प्रक्रिया बराबर चलती रहती है । इसके फलस्व. रूप वाराणसी से श्रीगोपालचन्द्र वेदान्तशास्त्री ने भी बृहत् संस्कृतकोष के प्रकाशन की योजना बनाई है। उसका एक खण्ड प्रकाशित हुआ है। इसके सम्पूर्ण प्रका. शित होने पर हिन्दी-जगत् को संस्कृत-वाङ्मय में अवगाहन करने के लिए अच्छा अवसर मिलेगा। वर्तमान समय के कोषकारों में सुप्रसिद्ध विद्वान् डा० सूर्यकान्त का योगदान भी प्रशंसनीय है। उन्होंने संस्कृत-हिन्दी-अंग्रेजी कोश को रचना की है । इसके पूर्व चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा का संस्कृतशब्दार्थकौस्तुभ ( संस्कृतहिन्दी ) का अच्छा प्रचार हुआ है। इन्होंने कोष लिखकर अनेक विद्वानों को कोष-रचना करने के लिए प्रेरित किया है।
विविध कोश ( क ) इस प्रसङ्ग में संस्कृत के समानान्तर पालि-प्रकृत कोशों पर भी विचार करना आवश्यक है। रचना-क्रम में पालि-कोश अधिकतर वैदिक-निघण्ट्रओं के समान परिलक्षित होते हैं। ये कोश श्लोकबद्ध नहीं हैं। पालिकोशों में सर्वप्रसिद्ध कोष महाव्युत्पत्तिकोश है, जो २८४ प्रकरणों में विभक्त है। इसमें लगभग ९०० शब्द संकलित हैं, जिनमें समानार्थक शब्दों के अतिरिक्त धातुरूप भी संगृहोत हैं। इसके अतिरिक्त पालिकोशों में मोग्गलान की अभिधानप्पदीपिका नामक कोश अत्यधिक लोकप्रिय है। यह बारहवीं शती की रचना है तथा अमरकोष की शैली में लिखा गया है।
प्राकृत कोषों में सबसे प्राचीन कोष पायिउ-लच्छिनाममाला है। इसके रचयिता धनपाल हैं। इसे ग्रन्थकार ने ९७२ ई० में लिखा था। इसमें २७९ गाथायें हैं। हेमचन्द्र ने इस कोष का उपयोग अपने देशी नाममाला में किया है।
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