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वर्णक्रम से शब्दसंग्रह किया जाना इसकी नवीनता है। दूसरी विशेषता यह है कि इसमें वैदिक शब्दों का संकलन भी किया गया है। रामानुजाचार्य (१०५५-११३७ ई० ) के यह गुरु थे। अतः इनका स्थितिकाल ११ वीं शती का उत्तरार्ध निश्चितप्राय है।
महेश्वर–इनका विश्वप्रकाश-कोष नानार्थ-शब्दों का संकलनात्मक ग्रन्थ है। इस कोष में शब्दों का चयन अन्तिम वर्ण के आधार पर किया गया है। रूपभेद का निर्देश भी इसमें किया गया है । ग्रन्थान्त में अव्ययों का संकलन विद्यमान है। ग्रन्थकार ने स्वयम् अपना परिचय इस कोष के अन्त में दिया है। तदनुसार इस कोष की रचना सन् ११११ ई० में हुई थी। मल्लिनाथ ने इस कोष का उपयोग अपनी टीकाओं में विशेषतया किया है।
अजयपाल---यह बौद्धमतावलम्बी थे। इनकी रचना नानार्थसंग्रह नाम से प्रसिद्ध है। इस कोष में १७३० शब्द हैं । इस कोष में भी वर्णक्रमानुसार शब्दों का चयन किया गया है। इनके मत का उल्लेख अमरकोष के टीकाकार सर्वानन्द
टीकासर्वस्व ( ११५९ ई० ) में बहुधा किया है। इसके अतिरिक्त वर्धमान ने अपने व्याकरण ग्रन्थ 'गणरत्नमहोदधि ( रचना ११४० ई० ) में इनका बहुशः उल्लेख किया है। फलतः यह बारहवीं शती से कुछ पहले हुए होंगे। इन्होंने 'ब' तथा 'व' में अन्तर नहीं माना है। इस कारण इनके वंगदेशीय होने का अनुमान किया जाता है। ___ मेदिनिकर-इनका ग्रन्थ 'मेदिनीकोष' के नाम से प्रसिद्ध है। यह भी नानार्थ-कोष है। मेदिनिकर ने शब्दों के चयन में दो प्रकार अपनाये हैं
कारादि वर्णक्रम तथा अन्तिम वर्णक्रम । मेदिनी ने विश्वप्रकाश को 'बहदोष' बतला कर अपना महत्त्व सूचित किया है। मेदिनीकोष शब्दों की संख्या में तथा चयन की व्यवस्था में विश्वप्रकाश की अपेक्षा अधिक विशद एवं सुव्यवस्थित है। कविशेखराचार्य ( लगभग १३०० ई०) के मैथिली भाषा में लिखित वर्णरत्नाकर ग्रन्थ में मेदिनीकर का उल्लेख होने से डा० गोडे ने इन्हें १२००१२७५ ई० के मध्य माना है।
मङ्ख-इन्होंने भी अन्तिम व्यजनों के आधार पर अनेकार्थ-कोष की रचना की है। इसमें १००७ पद्य हैं। इसका विभाजन परिच्छेदों में नहीं किया गया है। इनका स्थितिकाल ११२८-११४९ के मध्य माना गया है। यह काश्मीर के राजा जयसिंह के राज्यकाल में विद्यमान थे। इस कोष मे प्रायः काश्मीर के कवियों द्वारा प्रयुक्त शब्दों का चयन किया गया है। _हेमचन्द्र-कोषग्रन्थों के इतिहास में यह सर्वाग्रणी हैं। इन्होंने चार कोषग्रन्थ लिखे हैं-अभिधानचिन्तामणि (समानार्थकोष), अनेकार्थसंग्रह ( नानार्थ
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