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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १२ ) Dr. N. N. CHOWDHURI, M. A., D. Litt. ( Reader in Sanskrit, University of Delhi.) I have read with great interest a part of the manuscript copy of your Hindi-Sanskrit dictionary. A book of this type is urgently needed in these days. I congratulate you on this excellent work you have under-taken, श्री एन. बी. गाडगिल, एम. पी. श्री रामसरूप शास्त्री द्वारा सम्पादित 'हिन्दी-संस्कृत कोश' के कुछ मुद्रित पृष्ठ पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। सूक्ष्म दृष्टि से उन पन्नों को देखकर इस बात से प्रसन्नता हुई वि प्रियवर शास्त्रीजी ने इतना सुन्दर, सुव्यवस्थित और उपयुक्त कार्य किया है कि इस कार्य से वे समाज के ऋण से उऋण ही नहीं हुए, वरन उन्होंने समाज को उपकृत भी किया है । लेखक महोदय को इस महत्त्वपूर्ण स्तुत्य कार्य के लिए बधाई देता हूँ। केदारनाथ शर्मा, सारस्वत सम्पादक----'संस्कृतरत्नाकर' मंत्री, अखिलभारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन श्रीयुत रामसरूप शास्त्री एम. ए., एम. ओ. एल., विद्यावाचस्पति, प्रोफेसर, हंसराज कालेज, देहली द्वारा सम्पादित हिन्दी-संस्कृत कोश का कुछ भाग देखने का अवसर मिला है। मैं जो कुछ देख सका उसके आधार पर कह सकता हूँ कि यह इस युग के अनुकूल और आवश्यक प्रयत्न है। इस समय ऐसे प्रामाणिक कोश का अभाव जबकि देश का ध्यान संस्कृत की ओर आकृष्ट हो रहा हो, बहुत खटक रहा था। मुझे विश्वास है-इस अभाव की बहुत कुछ पूत्ति इस कोश से म्हो सकेगी।..."सम्पादक महोदय का यह प्रयत्न सर्वथा स्तुत्य और श्लाघ्य है । इसके अधिकाधिक प्रयोग और प्रचार की कामना करता हूँ। महामहोपाध्याय श्री पं० परमेश्वरानन्द शास्त्री, विद्याभास्कर ( ओरिएण्टल कालेज, जालंधर, पूर्व प्रिंसिपल, सनातनधर्म संस्कृत कालेज, लाहौर) प्रोफेसर श्रीरामसरूप शास्त्री, एम.:., एम. ओ. एल., विद्यावाचस्पति विरचित 'हिन्दीसंस्कृत कोश' को देखकर मेरा हृदय अत्यन्त प्रसन्न हुआ। मूल हिन्दी शब्दों के संस्कृत में पर्याय देने वाला कोश मेरी दृष्टि में यह पहला ही है। ऐसे कोश की बहुत समय से बड़ी भारी आवश्यकता समझी जा रही थी। संस्कृत के विद्वान अपने छात्रों को अनुवाद की शिक्षा देते हुए बड़ी कठिनाई अनुभव करते थे और करते हैं। संस्कृत भाषा का व्यवहार में प्रचलन न होने के कारण हिन्दी शब्दों के संस्कृत पाय ढूँढ़ने में उन्हें बड़ी मुश्किल पड़ती है। इस मुश्किल को विद्यावाचस्पति श्रीरामसरूप शास्त्रीजी ने हिन्दी-संस्कृत कोश की रचना करके बहुत अंशों में हल कर दिया है। इस उपकार के लिए संस्कृत के अध्यापक और उनके शिष्य प्रोफेसर महोदय के अत्यन्त अभारी होंगे, ऐसी आशा है । ___ हिन्दी माध्यम के द्वारा संस्कृत शिक्षार्थियों के लिये तथा हिन्दी मार्ग में अग्रसर होने के लिए -संस्कृत के विद्वानों के लिए भी-यह कोश अत्यन्त उपयोगी है। स्कूल कालेजों में, संस्कृत For Private And Personal Use Only
SR No.091001
Book TitleAdarsha Hindi Sanskrit kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamsarup
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1979
Total Pages831
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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