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________________ विषय मन्न मन्त्री का लक्षण, एक महाराज रारा सन्धि विग्रद-आदि विजयभी के उपायों में राजदत की अपेक्षा का निश्चयपूर्वक अपने 'हिरण्यगर्भ' मामके दूत को बुलाया जाना, इसी प्रसङ्ग में राजदूत के लक्षणआदि का वर्णन, उन महाराज द्वारा उक्त दूत के लिए लेख्याचा अधिकारी से शत्रुराजा के लिए लिखा गया लेख श्रवण कराया जाना, दूतकर्तव्य, कर्वव्य-प्युत बूत से हानि, 'शलनका नाम के गुप्तचर का आगमन श्रवण किया जाना तथा उक्त महाराज द्वारा उससे हंसी-मजाकपूर्वक कुछ भी विवक्षित वृत्तान्त Vछा आना एवं इसी प्रसा में गुप्तचरों के होने से लाभ व न होने से हानि का निर्देश .... २५२ उक्त महाराज द्वारा उक्त गुप्तचर के समक्ष 'पामरोदार' नामके मन्त्री की प्रशंसापूर्वक उसकी नियुक्ति का कारण कहा जाकर यह ला जाना कि उस मंत्री का इस समय प्रजा के साथ कैसा पाप है। 'शलनका नामके गुप्तचर द्वारा यशोधर महाराज के समक्ष उफ 'पामगेदार' नामके मन्त्री की प्रजापाटन आदि संबंधी विशेष कटु-आलोचना की जामा और उसके कुसङ्ग से उनकी अपकीति और सत्सङ्ग व कुसङ्ग का प्रभाव सया इसी प्रसङ्ग में उसके द्वारा दुष्ट मनी व दृष्ट राजा के चरित्र-निरूपक 'तरुणीलीलाविलास'आदि १४ महाकवियों की काव्यरचना प्रवण कराई खाने का वर्णन .... उसे श्रवण कर कुपित हुए. यशोधर महाराज द्वारा उ मुटुबालोदना माना, नुनसले दुराव बारा उनके प्रति गुतवर-प्रवेश और विचाररूप नेग्न-युगल के विना राज्य की हानि का निर्देश किया जाकर पुनः उक्त मन्त्री की कटु-आलोचना ( मांस भक्षण, चोरी, व्यभिचार, नीचकुल, मूर्खता व लांच घूस-आदि ) की जाना एवं इसी प्रसङ्ग में नीवों के सरकार व समानों के अपमान का दुष्परिणाम-समर्थक दृष्टान्तमाक्षा तथा उक्त मंत्री को दुष्ट प्रमाणित करने के हेतु दुष्टों के कुलों आदि का निरूपण एवं उक मंत्री के महाचर्य पालन-आदि की खिही जबाने-देतु 'अश्वस्थ व 'भरतवान'-आदि नामके महाकवियों की कायरचना भवण कराई जाना तथा सुयोग्य व तुष्ट मन्त्री से लाभ-हानि के समर्थक ऐतिहासिक धातों का निरूपण " २८. उक्त महाराज द्वारा सेनापतियों के सैन्य-दर्शन सम्बन्धी विज्ञापन श्रवण किये जाना एवं सेनापति का लक्षण निर्देशपूर्वक विविध देशों से आए हुए सैन्य का निर्देश ... उक्त महाराज द्वारा महान् रामदूतों के विविध राजदूतों व विविध राजाओं के आगमन सम्बन्धी विज्ञापन । श्रवण किये जाना व राजबूत का स्वक्षण एवं क्रीसा-मन्त्रियों के भण्उवचन श्रवण किये जाने का निरूपण ... उक्त महाराज द्वारा राजनैतिक दो श्लोकों का विचार किया जाना व राजनैतिक ज्ञान की विशेषता का निर्देश ... ३१६ यशोधर महाराज का नृस्य-दर्शन, सरस्वती का स्तुतिगान तथा संगीत-समर्थक सुभाषित रलोक का वर्णन .. उक्त महाराज द्वारा 'पपिस वैतपिडक' नाम के कवि का मानमर्दन व इसकी काव्य-रचना का भ्रवण एवं उसके । प्रश्न का असर-प्रदान सथा काध्यकला सम्बन्धी सुभाषित रलोक के श्रवण किये जाने का वर्णन " उक्त महाराज द्वारा वादविवादों में ख्याति प्रास की जाना तथा वस्तृत्वकला आदि के समर्थक सुभाषित पप-श्रवण " ३२४ उक्त महाराज द्वारा हाथियों के लिये शिक्षा दी जाना एवं प्रशिक्षित हाथियों से हानि गौरक्षा सम्बन्धी सुभाषित श्लोक-युगल श्रवण किये जाने का वर्हन उक्त महाराज के लिए सेनापति द्वारा दाथियों की मदावस्था विशापित की जाना, इसी प्रसङ्ग में गज-प्रशंसा सूक्क सुभाषित श्रवण किये जाना एवं भावाश'-आदि द्वारा मदजल की निवृत्ति के उपचार (औषधिर्या) श्रवण किये जाना तथा उनका करिविनोदविलोकनोहद' नाम के महल पर आरूढ़ होने का वर्णन " ३३१ उक्त महाराज का हाथियों की क्रीडा-दर्शन, सुभाषित-श्रवण, उनके क्षरा हस्तियन्त-जटनातिविधि तथा हरिसदन्त. घेष्टन-क्रिया सम्पन्न की जाना पूर्व हस्तिसेना की विशेषता-समर्थक सुभाषित श्रवण किये जाने का वर्णन ... ३३९
SR No.090545
Book TitleYashstilak Champoo Purva Khand
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
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