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विषय उक्त महाराज का अभिषेक-मप में जाना व प्रसङ्गवश उसकी अनुपम छटा का वर्णन एवं इसी प्रसङ्ग में 'अलकेमि
विवास मामके स्तुतिपाठक द्वारा गाए हुए दोनों उत्सव संबंधी माङ्गलिक गीतों को श्रवण करते हुए वक्त
महाराज का विवाहदीक्षाभिषेक व राज्याभिषेक के माङ्गलिक स्नान से अभिषिक्त होने का वर्णन .. १८३ मनोधर महाराज मारा आचमनविधि, पूजनादि के उपकरणों की अभिषेचनविधि । विवाह-होम किया जाना
एवं मनोजकुमार' नामक स्तुतिपाठक * सुभाषित गीव श्रवण करते हुए उक्त महाराज का विवाददीक्षा
पूर्वक गृहस्थाश्रम में प्रविष्ट होमा तथा राजमुकुट से अलस्कृत होने का वर्णन .... यशोधर महाराज द्वारा यादिवश्वनि आदि पूर्वक अपना, हाथी व घोड़े का स्था अमृतमति महादेवी का
पहबन्धोत्सव किया जाना एवं स्तुतिपाठकों के मालिक गीत श्रवण किये जाने का निर्देश .. १८. भरक्षक सैनिकों से घेष्टित हुए उक महाराज का अभिषेक मण्डप से हर्षपूर्वक उजयिनी की ओर प्रस्थान किया।
जाना एवं इसीप्रसङ्ग में कुखपृद्धों द्वारा पुण्याइपरम्परा ( आशीर्वाद ) उच्चारण कीजाने-आदि का वर्णन .. १८९ अमृतमति महादेवी के साथ 'उदयगिरि नामक सर्वश्रेष्ठ हाथी पर आरूढ़ हुए उक्त महाराज के शिर पर इधिनी
पर मारूक हुई कममीय कामिनियों द्वारा चमर होरे जाना एवं इसी प्रसङ्ग में वादिन-ध्वनि आदि .... १९१ उज्जयिनी नगरी उक्त महाराज के 'त्रिभवनतिलक नामके राजमहल की अनुपम छटा का वर्णन सक्त महाराज द्वारा 'कीतिसाहार नामके सतिपाठक के पभाषित पथ भवण किये जाना व अन्य मङ्गमगान एवं यरास्तिक की मुक्तियों के श्रवण का निरूपण
तृतीय आश्वास मङ्गलाचरण व स्तुतिपाठकों के सुभाषित मीत श्रवण करते हुए यशोधर महाराज का शय्या-त्याग उक्त महाराज का शारीरिक व आस्मिक लियाओं से निवृत्त होकर 'लक्ष्मीविलासतामरस' नाम के राज-सभा.
मण्डप में प्रविष्ट होना, प्रसवश उक्त सभामण्डप का वर्णन, यहाँपर उक्त महाराज द्वारा न्यायाधिकारियों के साथ समस्त प्रजाजनों के कार्य स्वयं देखे जाना और उनपर ___ ज्यायानुकूल विचार किया जाना व इसी प्रसङ्ग में ऐसा न करने से राजकीय हानि का वर्णन पञ्चोधर महाराज द्वारा राजसभा में देव, पुरुषार्थ व देव और पुरुषार्थ की मुख्यता-समर्थक 'विद्यामहोदधिः
मादि तीन मन्त्रियों से दैव-आदि की मुझयता श्रवण किये जाने का निर्देश उक्त महाररव द्वारा 'उपायसर्वन' नामके मन्त्री से उक्त मन्त्रियों की अप्राकरणिक बात का खण्डनीक
राजनैतिक सिद्धान्तों ( विजिगीषु-आदि राष्ट्रमर्यादा, नय व पराक्रमशक्ति, मन्त्र-गुण, मन्त्रियों का लक्षण व कर्सच्य, उत्साह, प्रधानमन्त्री, मन्त्र-माहात्म्य, राष्ट्ररक्षा, विजयश्री के साम-आदि उपाय न जानने का दुष्परिणाम, व साम-आदि उपाय-माहात्म्य, मन्त्रशक्ति (जानवल ) की विशेषता, विजिगीषु राजाओं के सन्धि व विप्रह-आदि के सूचक सीनकाल ( उदयकाल, समताकाल व हानिकाल), विभिनय की हानि, कर्तव्य एवं माहात्म्य, शस्त्र-युद्धनिषेध, शक्तिशाली सैन्य से लाभ व कमजोर से हानि, वैधीभाव का माहात्म्य, युद्धसमुद्र को पार करने का उपाय, साम, दान, दण्ड व भेदनीति व उनका प्रयोग, पृथ्वी-रक्षा
पर दृष्टान्त ष सैन्य-प्रेषण-आदि) का श्रवण किया जाना उक महाराज द्वारा 'नीतिगृहस्पति' नामके मंत्री से उक्त बात का समर्थनपूर्वक सुभापितत्रय ( राजनैतिक सीन
मधुर श्लोक) का श्रवण तथा कर्तव्य-निश्चयपूर्वक सन्धि, विग्रह, यान, आसन, संभ्रय व द्वैधीभाष इन राम-कृति के ६ उपायों के अनुष्टान किये जाने का वर्णन
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