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________________ MA -- - -- बिक्य उक्त महाराज द्वारा आहार-थेला में 'समान धैच के आयुर्वेद सम्बन्धी सुभाषित रखनामृत का पान मिया खामा ... ३४० उक्त महाराज द्वारा प्रीधरतु में 'मदनमदविनोद' नाम के उद्यान का दर्शन तथा प्रसङ्गवस प्रोम्मकसु-आदि .. ३११ उफ्फ महाराज द्वारा उक्त उद्यान सम्बन्धी फुबारों के गृह में प्यारी स्त्रियों के साथ क्रीडा की जाना तथा स्तुति पाठकों के सुभाषित-अषण से प्रकासित मनवाले उनके द्वारा ग्रीष्मऋतु सम्बन्धी मध्याइ-बैलाएं व्यतीत की जाना एवं इसी प्रसङ्ग में फुब्बारों के गृह-क्षादिका सरस वर्णन " ३५४ प्रधानत द्वारा 'अचल नरेश के 'मुफूल' नाम के दृत को यशोधर महाराज की राम-सभा में प्रविष्ट काला, इसी प्रसङ्ग में वर्षाऋतु का वर्णन, उक्त महाराज द्वारा 'अकालजफद' नाम के स्तुतिपाठक के सुभाषित गीतों का श्रवण एवं 'शिवलयविटोकविलास' नामके राजमहल पर राजसमूह के साध स्थिति "" उक महाराज के प्रधान दूत द्वारा अवलनरेश के चूत के प्रति यशोधर महाराज के लिए भेंट दिखलाने । ख लानेवाले के प्रति लेख देने के लिए कहा जाना, उसके फलस्वरूप भेंट व लेख-समर्पण उक्तदूत को देखकर यशोधर महाराज के प्रधान दूत द्वारा अपलनरेश के साथ युद्ध करने का निश्चय किया जाना ... प्रधान दृस द्वारा अबकनरेश की भेंट च लेख का अभिवाय-सूचना तथा - विरोदमें वाल्माला उपस्थित की जाना एवं उक्त दूत को मौलिक संदेश कहने के लिए प्रेरणा रक महाराज द्वारा उक्त दूत के प्रति कहे हए 'कोण्डमाखण्ड-आदि वीरों के वीररसपूर्ण वचन-श्रवन 'प्रतापवर्धन सेनापति द्वारा बीरों को नैतिक शिक्षा देते हुए प्रधानदूत को अचलनरेश के लिए प्रसिदेख व प्रतिभेंट प्रेषित करने व उक्ततके प्रति समुचित वर्ताव करने का संकेत ..." उक्त महाराज के प्रधान दूत धारा अयलनरेश के लिए लिखा आदेख सुनाया जाना एवं सेनापति हारा मचलनरेश को आमन्त्रण दिया जाना अचलनरेश के यहाँ 'विजयवर्धन सेनापति का प्रेषण, इसी प्रसत्र में शरदऋतु-आदि। 'प्रत्यक्षताय नाम के गुरुचर द्वारा यशोधर महाराज के लिए उक्त सेनापति की विजयश्री का विज्ञापन, प्रसङ्गवश हेमन्स अतकालीन घटनाओं का, स्तुतिपाठकों के सुभाषितो शरा हेमन्त ऋतु का वर्णन, युद्धव युबकालीन घटनाओं का निर्देश तथा युद्ध-फा का वर्णन उक्त महाराज द्वारा स्तुतिपाठकों के सुभाषित गीस अषणपूर्वक वसन्त ऋतु में कामदेव की आराधना की जाना, प्रसङ्गवश वसन्त ऋतुकालीन घटनाओं एवं वसन्तकनु, आभरणविधान तथा झूलों का वर्णन "" ३. ठक्त महाराज द्वारा 'विजयजत्रायुध' व 'सूप्तसूत' नाम के स्तुतिपाठकों के पुभाषितों द्वारा 'महानवमी' व दीपोत्सव' पर्व की शांभा-श्रवण व इसी प्रसार में अपराजिता व अम्बिकादेवी की स्तुति-श्रवण .. ३११ उक्त महाराज द्वारा आयुधसिद्धान्तमध्यापावितसिंहनाद' नाम के स्तुतिपाठक द्वारा अनुविधा की विशेषता तथा 'मार्गणमाल' नाम के स्तुतिपाठक के सुभाषित गीतों के प्रवगपूर्वक धनुधिशा का अभ्यास ... ३९५ उक्त महाराज द्वारा कविकुरपत्कण्ठीख' नाम के मित्र द्वारा पो हुर चन्द्रोदय-निरूपक सुभाषित-श्रवण, प्रसवश सायंकाल-आदि का तथा स्तुतिपाठको-आदि के सभाषित-अत्रण ३९५ यशोधर महाराज द्वारा कमनीय कामिनियों के कामबर की चिकित्सा की जाना इसी प्रसर में विरहिणी नियों की अवस्था आदि का सरस वर्णन व अन्त्यमाल-गान अन्त्यमालव यात्मपरिचय .... श्लोकानामकारानुक्रमः ( परि० नं०१) प्रयुक्त क्लिष्टतम शब्द-निघण्टु (परि नं०२) धन्यवाद व शुद्धिपत्र - -- ___... --- ३८० ----- -
SR No.090545
Book TitleYashstilak Champoo Purva Khand
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
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