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यशस्तिलकचम्पूकाव्ये इसप्रकार दार्शनिक-चूड़ामणि श्रीमदम्बादास जी शास्त्री व श्रीमत्पूज्यपाद आध्यात्मिक सन्त श्री १०५ क्षुल्लक गणेशप्रसाद जी वर्णी न्यायाचार्य के प्रधानशिष्य, जैनन्यायतीर्थ, प्राचीनन्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ व आयुर्वेद विशारद एवं महोपदेशक-आदि अनेक उपाधि-विभूषित सागरनिवासी श्रीमत्सुन्दरलाल जी शास्त्री द्वारा रची हुई श्रीमत्सोमदेवसरि-विरचित यशस्तिलकचम्पू महाकाव्य की 'यशस्तिलकदीपिका' नाम की भाषाटीका में 'पटुबन्धोत्सव' नाम का द्वितीय आश्वास (सर्ग) पूर्ण हुआ।