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________________ ३८ ] व्रत कथा कोष दोष । यदि उदयकाल में एक घटी प्रमाण व्रततिथि मान ली जाय तो उदयतिथि होने के कारण वैष्णवों में ग्राह्य मानी जाएगी। परन्तु जैनमत के अनुसार इसमें पूर्वोक्त तीनों दोष वर्तमान हैं । यह तिथि सूर्योदय के २४ मिनट बाद ही नष्ट हो जाएगी । तथा आगे आने वाली तिथि सूर्योदय के २४ मिनट बाद प्रारंभ हो जायगी । अतः व्रत संबंधी धार्मिक अनुष्ठान व्रतवाली तिथि में नहीं होंगे, बल्कि प्रव्रतिक तिथि में संपन्न किये जायेंगे; जिससे समय में करने के कारण उन धार्मिक अनुष्ठानों का यथोचित फल नहीं मिलेगा + उदाहरण के लिए यों मान लिया जाय की किसी को अष्टमी का व्रत करना है । मंगलवार को अष्टमी एक घटी पंद्रह पल है अर्थात् सूर्योदयकाल में आधा घण्टा प्रमाण है । यदि सूर्योदय ५ बजकर १५ मिनट पर होता है तो ५ बजकर ४५ मिनट से नवमी तिथि प्रारंभ हो जाती है । व्रती सूर्योदय काल में सामायिक, स्तोत्रपाठ करता है । इन क्रियाओं को उसे कम से कम ४५ मिनट तक करना चाहिये । सूर्योदय काल में ३० मिनट अष्टमी है, पश्चात् नवमी तिथि है । क्रियाएँ ४५ मिनट तक करनी हैं, अतः इनमें पहिला दोष - विद्धा-तिथि में प्रातःकालीन क्रियाओं को करने का आता है । विद्धा-तिथि में की गयी क्रियाएँ, जो कि व्रततिथि के भीतर परिगणित हैं, व्यर्थ होती हैं, पुण्य के स्थान पर अज्ञानता के कारण पापबन्धकारक हो जाती हैं। अतः प्रथम दोष विद्धातिथि में प्रारंभिक व्रत संबंधी अनुष्ठान के करने का है । दूसरा दोष यह है कि व्रतारंभ करने के समय व्रततिथि का प्रभाव क्षीण रहता है, जिससे उपर्युक्त उदाहरण में कल्पित अष्टमी, अष्टमी व्रत की क्रियाओं में प्राती ही नहीं । श्राचार्यों का कथन है कि उदयकाल में कम से कम दशमांश तिथि के होने पर ही तिथि का प्रभाव माना जा सकता है । छः घटी प्रमाण उदयकाल में तिथि का मान इसलिए प्रामाणिक माना गया है, क्योंकि मध्यम मान तिथि का ६० घटी होता है । इसका दशमांश छः घटी होता है, तिथि का प्रभाव छः घटी है, अतः तिथि का प्रमाण छः घटी प्रमाण होने पर पूर्ण माना जाता है । कारण स्पष्ट है कि सूर्योदय के पश्चात् रस घटी प्रमाणवाली १ तिथि कम से कम २ - तक रहती है । जिससे प्रारंभिक धार्मिक कृत्य करने में विद्धातिथि या अव्रतिक तिथि का दोष नहीं श्राता है । मात्र उदयकालीन तिथि स्वीकार
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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