SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 779
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२० ] व्रत कथा कोष अथ त्रीन्द्रिय जाति निवारण व्रत कथा व्रत विधि :-पहले जैसी सब विधि करे । अन्तर सिर्फ इतना है कि इसमें चैत्र शु. २ को एकाशन और तीज को उपवास करे सम्भवनाथ तीर्थकर की पूजा, जाप मन्त्र आदि करे पान तीन रखे । अथ त्रसकाय निवाररम व्रत कथा विधि :-पहले के समान ही है । अन्तर सिर्फ इतना है कि चैत्र शुक्ला १० को एकाशन व ११ को उपवास करना चाहिए। श्रेयान्सनाथ तीर्थ कर का जाप मन्त्र व पूजा करनी चाहिए । पत्ते पूर्ववत् रखना चाहिए। त्रिभुवनतिलक व्रत कथा आषाढ महिने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रतिक स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर जिन मन्दिर जी में जावे, मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगाकर ईर्यापथ शुद्धिपूर्वक जिनेन्द्र भगवान को साष्टांग नमस्कार करे, अभिषेक पीठ पर पंचपरमेष्ठी की प्रतिमा स्थापन कर पंचामृताभिषेक करे, अष्ट द्रव्य से पूजा करे, श्रुत व गुरु की पूजा करे, यक्षयक्षिणी व क्षेत्रपाल की पूजा करे । ॐ ह्रीं अर्हत्सिचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र से १०८ बार पुष्प लेकर जाप्य करना चाहिए, णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप्य करना चाहिए, व्रत कथा पढ़े, जिनेन्द्र देव के सामने एक पाटे पर पांच पान लगाकर उन पांचों पानों पर अर्ध्य रखे, एक थाली में अर्घ्य रख कर मन्दिर की तीन प्रदक्षिणा लगावे, मंगल आरती उतारे, भगवान को महाअर्घ्य चढ़ा देवे, उस दिन उपवास करे, सत्पात्रों को आहारादि देवे, दूसरे दिन पूजा दान करके स्वयं भोजन करे, इसी क्रम से इसी तिथि को चार महिने तक पूजा उपवास करे, इसी तिथि को पांचवें महिने में उद्यापन करे, उस समय पंच परमेष्ठि विधान करके अभिषेक पूजा करे, पांच प्रकार के नैवेद्य पांच जगह चढ़ा कर पूजा करे, आहार दान प्रादि देवे । अन्त में पारणा करे ।
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy