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________________ ६६० ] व्रत कथा कोष कोतिदत्त उसकी पत्नी कीर्तिवतो पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने कोतिसागर मुनि के पास व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया और अनुक्रम से मोक्ष गए। अथ सम्यग्मिथ्यात्व (मिश्र) गणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान व्रत विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृष्ण ३० के दिन एकाशन करे, प्राषाढ़ शु. १ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, तीन दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्रादि दान करे, मुनि को दान दे। कथा पहले रत्नपुर नगरी में रत्ननाथ राजा रत्नावली अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र रत्नेश्वर, उसकी स्त्री रत्नमाला और रत्नप्रभ मन्त्री, उसकी स्त्री रत्नमती, रत्नल पुरोहित, उसकी स्त्री रत्नसुन्दरी, रत्नदत्त श्रेष्ठी, उसकी स्त्री रत्नदत्ता, रत्नंजय सेनापति पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने रत्नसागर मुनि के व्रत लिया उसका व्रतविधि से पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अमुक्रम से मोक्ष गए। अथ सूक्ष्मसांपरायगुरणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के सम्मान सब विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ शु. ७ के दिन एकाशन करे, ८ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, १० दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्र प्रादि दान करे । १०८ बार पुष्प से जाप करे । चैत्यालय वंदना करे । कथा पहले प्रश्रपुर नगरी में अघत्थामा राजा अश्रगामिनी अपनी पटरानी के साथ रहता था । उसका पुत्र अश्रहरी व अश्रकांता उसकी स्त्री, प्रश्रकीति पुरोहित उसकी स्त्री अश्रसेना, मन्त्री, राजश्रेष्ठी वगैरह पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने विश्रसागर मुनि से व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया । सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए। अथ समवशरण मंगल व्रत कथा इस व्रत को श्रावण शुक्ल में पहले रविवार को प्रारम्भ करे, मन्दिर जाने
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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