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________________ व्रत कथा कोष [ ६८६ को करे, अन्त में उद्यापन करे, उस समय सुपार्श्वनाथ विधान करके महाभिषेक करे, मुनि-पायिकाओं को उपकरणादि देवे, सात सौभाग्यवति स्त्रियों को भोजन कराकर वायना देवे, वस्त्राभूषण देकर सम्मान करे । कथा ___ इस व्रत की कथा में वसुदेव देवकी कृष्ण नारायण की कथा पढ़ । देवकी ने इस इस व्रत को किया था, उसी से उसके सात पुत्र उत्पन्न हुये । अथ सयोगकेवली गुणस्थान व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे। अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ शु० १० के दिन एकाशन करे। ११ के दिन उपवास करे । पूजा वगैरह पहले के समान करे। ३ दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्र आदि दान करे। १०८ कमल पुष्प और १०८ फल चढ़ावे । १०८ चैत्यालयों की वन्दना करे। कथा पहले कांचीपुर नगरी में कांचीशेखर राजा कनकमालादेवी अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र कांचनाभ उसकी स्त्री कनकसुन्दरी और कनकोज्वल मन्त्री उसकी स्त्री कनकमंजरी, और कनककीति उसकी स्त्री कनकभषणी सेनापति आदि पूरा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने कनकसागर मुनि से व्रत लिया। उसको व्रतविधि से पालन किया । सर्वसुख को प्राप्त किया। अनुक्रम से मोक्ष गए। ___ अथ सासाकनगुरण स्थान व्रत कथा व्रत विधि :- पहले के समान व्रत विधि करे । अन्तर केवल इतना है कि ज्येष्ठ कृ० १४ के दिन एकाशन करे ३० के दिन उपवास करे । पूजा वगैरह पहले के समान करे । ६ तिथि पूर्ण होने पर उद्यापन करे । पात्र में दो पत्त लगाकर अष्ट द्रव्य रखकर महार्घ्य दे । दो दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्रादि से सम्मान कर । _ - -- कथा ___ पहले किन्नरगीत नाम की नगरी में किन्नरकांत राजा किन्नरदेवी अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र किन्नरेन्द्र उसकी स्त्री सुकिन्नरी किन्नागगंद मंत्री उसकी स्त्री किमिन्नादेवी, कीर्तिकांत पुरोहित उसकी स्त्री कीर्तिमुखी
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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