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________________ व्रत कथा कोष [६८७ अथ सामायिक चारित्र व्रत कथा व्रत विधि :-प्राषाढ़ शु. १२ के दिन एकाशन करे और १३ को उपवास करे। शुद्ध कपड़े पहनकर अष्टद्रव्य लेकर मन्दिर जावे, वेदीपर पञ्चपरमेष्ठी प्रतिमा स्थापित कर पंचामृत अभिषेक करे । अष्टद्रव्य से अर्चना पूजा करे । महार्घ्य देवे, प्रारती करे। ___जाप :- ॐ ह्रां ह्रीं ह्र.ह्रो ह्रः अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यो नमः स्वाहा । इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे । णमोकार मन्त्र का १०८ बार जाप करे। यह कथा पढ़े । दूसरे दिन दान पूजा करके पारणा करे। ३ दिन ब्रह्मचर्य पाले। इस प्रकार १५ दिन में एक बार इस तिथि को उपवास करे । रोज क्षीराभिषेक करे । ऐसी है पूजा पूर्ण होने पर कार्तिक के नन्दश्विर पर्व में उद्यापन करे । उस समय पंचपरमेष्ठी व्रत विधान करे । महाभिषेक करे। १ दम्पति को भोजन कराकर उसका सम्मान करे । १०८ पाम १०८ केले चढ़ावे, १०८ कमल पुष्प बहावे १०८ जिनचैत्यालयों की बंदना करे । ऐसी इस व्रत की विधि है । कथा पहले गंगापुर नगर में गंगासेन नामक राजा अपनी गंगादेवी पट्टरानी के साथ राज्य करता था । उनको गंगाधर नामक पुत्र था व गंगामित्रा नामक स्त्री थी। वैसे ही गंगादेव मन्त्री गंगामन्ति स्त्री । पुरोहित, श्रेष्ठ, सेनापत्ति इत्यादि परिवार था। एक बार उन्होंने गंगासागर मामक मुनि के पास यह व्रत लिया, यथाविधि पालन किया जिससे वे स्वर्ग सुख को प्राप्त कर मोक्ष गये । ऐसा दृष्टान्त है । अथ संयत व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे, अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ कृ० २ के दिन एकाशन करे, ३ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, ३ दम्पत्तियों को भोजन करावे, वस्त्र प्रादि दान करे। कथा पहले तारापुर नगरी में ताराकुमार राजा तारादेवी अपनी रानी के साथ रहता था। उसका पुत्र तारासुर और तारामणी शिवाय ताराविजय उसकी स्त्री
SR No.090544
Book TitleVrat Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Ritual_text, Ritual, & Story
File Size21 MB
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