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प्रत कथा कोष
कथा पहले भानुपुर नगरी में भानुरथ राजा भानुमती अपनी महारानी के साथ रहते थे । उसका पुत्र भानुकुमार उसकी स्त्री भानुदेवी। शिवाय भानुधति मन्त्री उसकी स्त्री भानुश्री, भातुकीति पुरोहित उसकी स्त्री भानुज्योति, भानुदत, सारा परिवार सुख से रहता था । एक बार उन्होंने भानुप्रताप मुनि से व्रत लिया, उसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गये ।
अथ संयतासंयत व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे अन्तर केवल इतना है कि प्राषाढ़ कृ. ३ के दिन एकाशन करे, ४ के उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, सात दम्पतियों को भोजन करावे । वस्त्र आदि दान करे।
कथा पहले मयूरपुर नगरी में मयूरसेन राजा मयूरवदनी अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र मयूरकंठ और मयूरकंठि, शिवाय मयूरग्रीव उसकी स्त्रो मयूरग्रोवी, मयूरकीर्ति पुरोहित, उसकी स्त्री मयूरसुन्दरी, मयूरदत्त श्रेष्ठी, उसकी स्त्री मयूरदत्ता, सारा परिवार सुख से रहता था। एक बार उन्होंने मयूरसागर मुनि से व्रत लिया, इसका यथाविधि पालन किया, सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए।
अथ सूक्ष्मसापरायचारित्र व्रत कथा व्रत विधि :-पहले के समान सब विधि करे अन्तर केवल इतना है कि आषाढ़ शु. ५ के दिन एकाशन करे, ६ के दिन उपवास करे, पूजा वगैरह पहले के समान करे, ४ दम्पतियों को भोजन करावे, वस्त्र आदि दान करे।
कथा पहले पीतपुर नगरी में पीतप्रभ राजा पीतमहादेवी अपनी महारानी के साथ रहता था। उसका पुत्र पीतमंदर और उसकी स्त्री पीतसुन्दरी । और पीतपातक मन्त्री उसकी स्त्री पीतगुणिनी, पीतकीर्ति पुरोहित उसकी स्त्री पीतवदंना, पूरा परिवार सुख से रहता था । एक बार उन्होंने पीतसागर गुरु से दर्शन करके यह व्रत लिया इसका यथाविधि पालन किया। सर्वसुख को प्राप्त किया, अनुक्रम से मोक्ष गए।